Tuesday, May 25, 2021

उत्तर प्रदेश का इतिहास, वर्तमान तथा प्रमुख तथ्य- जिनको आप निश्चित रूप से नही जानते होगे-

उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जो अप्रतिम, आभावान व श्रेष्ठतम व्यक्तित्वों के दैदीप्यमान नक्षत्रों से परिचित रहा है, उत्तर प्रदेश हिन्दू धर्म का प्रमुख स्थल है।


दयालुता, करुणा, विद्वता, सच्चरित्रता, आत्मा संयम, शान्त स्वभाव, इन छः गुणों से भूषित मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम व परमावतार श्री कृष्ण की जन्मभूमि होने से लेकर भारत के सर्वाधिक प्रधानमंत्री देने का गौरव भी इसी राज्य को प्राप्त है।

उत्तर प्रदेश का इतिहास:-


सन् 1902 में नाॅर्थ प्रोविजन आगरा व अवध का नाम बदलकर यूनाईटेड प्रोविन्स ऑफ आगरा व अवध कर दिया गया।

  • सन् 1920 में इसकी राजधानी प्रयागराज से लखनऊ स्थानांतरित कर दी गई।
  • सन् 1950 में इसका नाम उत्तर प्रदेश पड़ा।
  • सन् 1968 से लेकर अब तक 1700 दिनों से भी अधिक व 10 बार राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है।
  • 9 Nov 2000, को नया राज्य उत्तराखंड इससे अलग होकर बना।
  • *सरोजनी नायडू, उत्तर प्रदेश व भारत की पहली महिला राज्यपाल बनी।
  • गोविंद बल्लभ पंत राज्य के पहले मुख्यमंत्री बनें।


उत्तर प्रदेश के प्रमुख आधारभूत तथ्य:-


  • राज्य का दर्जा- 24 जनवरी 1950
  • राजधानी- लखनऊ
  • जिले- 75
  • राज्यपाल- आनन्दी बेन पटेल
  • मुख्यमंत्री- योगी आदित्य नाथ
  • उप मुख्यमंत्री- केशव प्रसाद मौर्य व दिनेश शर्मा
  • हाईकोर्ट- इलाहाबाद हाईकोर्ट
  • मुख्य न्यायाधीश- गोविंद माथुर
  • MLA- 403 +1 (One Anlo-Indian member)
  • Lok Sabha- 80
  • Rajya Sabha- 31
उत्तर प्रदेश के जिले.


सीमावर्ती राज्य:- 

उत्तर प्रदेश की सीमाएँ भारत के 9 राज्य व नेपाल देश के साथ साझा होती है।

  1. दिल्ली
  2. हरियाणा
  3. राजस्थान
  4. मध्यप्रदेश
  5. झारखण्ड
  6. छत्तीसगढ़
  7. बिहार
  8. उत्तराखंड
  9. हिमांचल प्रदेश
  •  उत्तराखंड, हरियाणा, हिमांचल के साथ सहारनपुर जिला सीमा साझा करता है।


उत्तर प्रदेश के राजकीय चिह्न:-

एक वृत्ताकार सील है जो चित्रण करती है, गंगा व यमुना के निरन्तर प्रवाह को तथा मछलियों की जोड़ी पूर्व में रहे अवध के हिन्दू व मुस्लिम शासको का प्रतिनिधित्व करती है। धनुष-बाण भगवान राम से सम्बन्धित है।
उत्तर प्रदेश का राजकीय चिन्ह



  • राज्य पशु- बारहसिंगा
  • राज्य पक्षी- सारस
  • राज्य पुष्प- पलास
  • राज्य वृक्ष- अशोक (Saraca Ashoka)
  • राज्य नृत्य- कत्थक


 

उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति:-


  • उत्तर प्रदेश, भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है, यह लगभग यूनाईटेड किंगडम के आकार जितना है।
  • राज्य में छोटी बड़ी मिलाकर कुल 32 नदियाँ हैं।
  • गंगा, यमुना, सरयू, बेतवा और घाघरा हिन्दू धर्म में व उत्तरप्रदेश में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में राज्य के 8 जिले (मेंरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर ,बुलंदशहर, हापुड़, बागपत, मुजफ्फरनगर शामली) है।
  • उत्तर प्रदेश में 18 मंडल तथा 75 जिले है।
  • उत्तर प्रदेश के "ललितपुर जिले" से यूरेनियम प्राप्त होती है।


उत्तर प्रदेश राज्य के प्रमुख बांध:-


  1. रिहन्द/गोविंद बल्लभ पंत सागर:- पिपरी नदी-सोनभद्र
  2. माताटीला बांध:- बेतवा नदी-ललितपुर
  3. गोविंद सागर बांध:- शहजाद नदी- ललितपुर


उत्तर प्रदेश राज्य की महत्वपूर्ण झीलें:-


  1. मोती झील:- कानपुर
  2. राजा का ताल:- NH 19
  3. बारू सागर ताल:- झांसी


उत्तर प्रदेश राज्य के सामान्य तथ्य:-

  • यह भारत की सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है।
  • NCRB (National crime records bureau) के अनुसार- उत्तर प्रदेश, महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के मामलों शीर्ष पर है। 
  • महाजनपद काल में 16 महाजनपदों में से 08 महाजनपदों के क्षेेत्र उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में आते हैं।
  • लखीमपुर जिला क्षेेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा है।
  • सर्वाधिक साक्षरता वाला जिला "गौतमबुद्ध नगर" तथा न्यूनतम साक्षरता वाला जिला श्रावस्ती है।
  • प्रदेश की राजकीय भाषा हिंदी व दूसरी आधिकारिक भाषा उर्दू है।


GI TAGS of Uttar Pradesh:- 

उत्तर प्रदेश के कुछ महत्वपूर्ण GI tags प्राप्त अग्रलिखित है।

  1. इलाहाबाद सुर्खा
  2. लखनऊ चिकन क्राफ्ट
  3. मलीहाबादी दशहरी आम:-यहां का दशहरी आम विश्व है।
  4. बनारसी साड़ी
  5. हाथ की बनी काॅरपेट भदोही- दक्षिण एशिया का हब माना जाता है, दरी के लिये।
  6. काला नमक चावल
  7. फिरोजाबाद ग्लास- विश्व में चूङियों का सबसे बड़ा उत्पादक है
  8. आगरा दरी
  9. आगरा पेठा
  10. मथुरा पेडा़


उत्तर प्रदेश के प्रमुख मेला:-


  • नौचन्दी का मेला
  • माघ का मेला
  • रथ मेला
  • कुंभ मेला
  • देवा शरीफ मेला


उत्तर प्रदेश के प्रमुख नृत्य:-


  • स्वांग (लोकनृत्य
  • चरकुला नृत्य (लोकनृत्य)
  • रासलीला (लोकनृत्य
  • नौटंकी (लोकनृत्य)
  • अहीर नृत्य (लोकनृत्य)
  • धुरिया नृत्य (लोकनृत्य)
  • कत्थक (शास्त्रीय नृत्य)


उत्तर प्रदेश के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान तथा वन्यजीव अभयारण्य:-


  1. दुधवा नेशनल पार्क- लखीमपुर
  2. महावीर स्वामी वन्यजीव अभयारण्य- ललितपुर
  3. हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य- मेंरठ
  4. चन्द्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य- चन्दौली
  5. नबावगंज पक्षी अभयारण्य- उन्नाव


UNESCO 🌍HERITAGE SITE:-


  • Agra Fort:-1983
  • Taj Mahal:-1983
  • Fathehpur Sikri 1986

    महत्वपूर्ण राष्ट्रीय स्मारक:-

    • काशी विश्वनाथ- वाराणसी 
    • सारनाथ मंदिर - वाराणसी
    • मणिकर्णिका घाट- वाराणसी
    • राम जन्म भूमि- अयोध्या 
    • श्री राधा गोविंद मन्दिर- वृन्दावन 
    • तुलसी मानस मंदिर- वाराणसी
    • हनुमान सेतु मंदिर- लखनऊ 
    • धम्म स्तूप- वाराणसी
    • अकबर का मकबरा- आगरा
    • चुनार किला- वाराणसी
    • बड़ा इमामबाड़ा - लखनऊ 

         उत्तर प्रदेश के महान व्यक्तित्व:-

           उत्तर प्रदेश के व्यक्ति जो प्रधानमंत्री बनें:-

          1. जवाहर लाल नेहरू 
          2. लाल बहादुर शास्त्री 
          3. इन्दिरा गान्धी 
          4. चौधरी चरण सिंह
          5. विश्वनाथ प्रताप सिंह  

                    उत्तर प्रदेश में जन्मे प्रमुख कवि/लेखक:-

                      1. मैथिलीशरण गुप्त
                      2. शिवमंगल सिंह सुमन 
                      3. गोस्वामी तुलसीदास 
                      4. महादेवी वर्मा
                      5. मुंशी प्रेमचंद 
                      6. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र 
                      7. जयशंकर प्रसाद
                      8. सुभद्रा कुमारी चौहान 
                      9. हरिवंश राय बच्चन
                      10. अमीर खुसरो

                                          उत्तर प्रदेश के प्रमुख खिलाड़ी:-

                                            1. मेजर ध्यानचंद (हाकी)
                                            2. के डी सिंह (हाकी)
                                            3. मोहम्मद कैफ (क्रिकेट)
                                            4. भुवनेश कुमार (क्रिकेट)

                                                      भारत का सबसे प्राचीन शहर वाराणसी है, जो लगभग 3000वर्ष पुराना माना जाता है। मान्यता है, भगवान शिव ने 5000 वर्ष पूर्व काशी की स्थापना की थी।

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                                                      Thursday, May 20, 2021

                                                      केन्द्र और राज्य सरकारो की इन गलतियों का खामियाजा आज हर भारतवासी भुगत रहा है। पढिये पूरा लेख-

                                                       देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर जहाँ लोगो को डरने पर मजबूर कर दिया है, लोग घर पर रहने को मजबूर है तो इसी स्थिति के बीच कोरोना वायरस की तीसरी लहर भी दस्तक देती हुई महसूस हो रही है। कई देशो व उत्तराखंड के कुछ इलाको में तीसरी लहर बच्चो को प्रभावित कर रही है।

                                                      Corona Virus File Image

                                                       

                                                      देश में जहाँ तीसरी लहर के आने की आशंका व्यक्त की जा रही है, लेकिन अभी दूसरी लहर की तबाही का रूप वैसा ही बना हुआ है। आइये जानने की कोशिश करते है कि क्या कदम उठाये जाने चाहिए थे ताकि दूसरी लहर के इस भयावह विनाश को कुछ हद तक कम किया जा सकता.

                                                      • इंग्लैंड और पश्चिमी देशो में जब कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन मिला था तब किसी भारतीय ने ना ही भारत सरकार ने यह सोचा था, कि कोरोना वायरस का यह नया स्ट्रेन भारत में इतनी तबाही मचा सकता है। कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन मिलने पर सबसे पहले भारत सरकार को वहाँ से आने वाली सभी फ्लाइट को रद्द कर देना चाहिए था व भारतीयो को वहाँ जाने से मना कर देना चाहिए था। 
                                                      • जिन देशो में कोरोना वायरस का दूसरा स्ट्रेन फैला था वहाँ विशेषज्ञो की टीम भेजकर यह देखना चाहिए था कि वह कैसे दूसरे स्ट्रेन से निपट रहे है व जिन देशो ने दूसरे स्ट्रेन से सफलतापूर्वक निपटने में सफलता पायी थी उनकी पूरी रणनीति का खांका बनाकर तैयार कर लेना चाहिए था क्योकि दूसरा स्ट्रेन भारत में भी आ सकता था।
                                                      • कोरोना वायरस की दूसरी लहर में स्वास्थ्य सुविधाओ और ऑक्सीजन की कमी के कारण हजारो लोगो की मौते हुई है, केन्द्र सरकार का कहना है कि उन्होने अप्रैल 2020 के आसपास ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए राज्यो को पैसा दिया था, जिनमें से लगभग 30-40 प्रतिशत ही ऑक्सीजन प्लांट लग पाये है। जबकि राज्यो का कहना है कि उन्हे जमीन देनी थी जबकि ऑक्सीजन प्लांट केन्द्र सरकार को ही लगाने थें. अगर केन्द्र सरकार राज्यो में चुनावो पर ज्यादा ध्यान न लगाकर राज्यो से सवाल-जवाब तलब करती है इस बात की जानकारी लेती कि कितने ऑक्सीजन प्लांट लग पाये है और मेडिकल सुविधाओ में कितना सुधार हुआ है तो देश में इतनी बङी तबाही को काफी हद तक कम किया जा सकता था।
                                                      • देश में फ्रंट लाइन वर्कर्स के वैक्सीनेशन का काम मध्य जनवरी से चालू हो गया था, जिसके बाद सरकार नें वैक्सीन मैत्री नामक एक योजना चलायी जिसके तहत लगभग 6 करोङ 63 लाख वैक्सीन विदेश भेजी गयी। जहाँ से सरकार को बहुत वाहवाही प्राप्त हुई, वैक्सीन को इतनी ही बङी मात्रा में बाहर भेजने के बजाय फ्रंट लाइन वर्कर्स के साथ-साथ पत्रकारो और शिक्षको जैसे तमाम जरूरी व्यक्ति जो आपदा में काम आ सकते है इनको लगायी गयी होती तो हजारो लोगो की जाने बच सकती थी, और हजारो परिवारो की खुशियाँ भी बच जाती। अगर वैक्सीनेशन की प्रक्रिया थोङी तेज होती तब भी हजारो मौतो को रोका जा सकता था।
                                                      •   इतनी भारी मात्रा में विदेशो को वैक्सीन निर्यात करने के फलस्वरूप केन्द्र सरकार को यह जरूर मालूम होगा कि देश में वैक्सीन की कमी है सकती है, जिसके लिए देश की अन्य कम्पनियों को लाइसेंस अप्रैल के शुरुआत में ही दे देना चाहिए था। केन्द्र सरकार अब यही काम कर रही है जबकि अब बहुत ही ज्यादा देर हो चुकी है। भारत सरकार वैक्सीन के लिए सिर्फ दो भारतीय कम्पनियों सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बॉयोटेक पर निर्भर थी जिनके जिम्मे देश की 135 करोङ जनसंख्या की वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी थी, जिसके लिए 270 करोङ वैक्सीन को डोजेस की आवश्कता था। वैक्सीन बनाने का लाइसेंस अन्य कम्पनियों को कुछ समय पहले दे दिया गया होता तो आज देश में वैक्सीन की किल्लत ना होती और हजारो लोगो को मरने से बचाया जा सकता था।
                                                      • जब देश टीका उत्सव मना रहा था तब भी केन्द्र सरकार को यह बात पता थी कि देश में वैक्सीन की भारी कमी होने वाली है, उस वक्त यदि देश में विदेशो की वैक्सीन को मंजूरी दे दी जाती और युद्धस्तर पर वैक्सीन खरीदी जाती तो देश में वैक्सीन लगने वाले लोगो की संख्या जो इस वक्त 18 करोङ है वह आराम से कई गुना बढायी जा सकती थी। विदेशी से आयी हुई वैक्सीन को खरीदने का ऑफर जनता के सामने रखा जा सकता था, स्पूतनिक जिसकी एक डोज की कीमत 995 रूपये है, को सक्षम व्यक्ति अस्पताल से खरीद कर लगवा सकते थें व भारत सरकार द्वारा कोविशील्ड व कोवैक्सीन जैसी वैक्सीन को उन लोगो के लिए बचा कर रखना चाहिए था जो कि वैक्सीनेशन का खर्चा नही उठा सकते। गाँव-गाँव जाकर, अभियान चलाकर वैक्सीनेशन कराया जाता और शहरो की सक्षम आबादी के लिए स्पूतनिक, फाइजर या माडर्ना जैसी वैक्सीन को खरीदने का एक ऑप्शन जनता के पास रखा जाता. जो व्यक्ति पैसे देकर वैक्सीन लगवाना चाहता वह पैसे देकर लगवाता व कोविशील्ड और कोवैक्सीन तो सरकार फ्री में सबके लगा ही रही थी। अगर विदेशो से वैक्सीन सही समय पर और अधिक मात्रा में मंगायी गयी होती तो हालात इस वक्त काफी नियंत्रण मे होते.
                                                      • कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों की तरफ से भी काफी लापरवाहियां की गयी, यदि उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया जाता तो बहुत हद तक यह सम्भव था कि कोरोना गाँवो तक ना पहुँचता और इतनी भीषण तबाही न मचाता. चुनावो में ड्यूटी करने वाले हजारो लोगो की मौते हुई व चुनाव बाद पूरे गाँव के गाँव बीमार चल रहे है। अगर पंचायत चुनावो को कुछ समय के लिए टाल दिया जाता और समय रहते लॉकडाउन लगा दिया जाता तो शायद स्थिति इतनी बदतर न होती जितनी कि आज है।
                                                      • कोरोना फैलने का एक बहुत बङा कारण पाँच राज्यो के विधानसभा के चुनाव थे जिसके चलते बहुत बङी संख्या में लोगो को रैलियों में बुलाया गया, बंगाल में चुनाव बाद तो स्थिति यह है कि हर दूसरा जाँच कराने वाला व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव निकल रहा है। पाँच राज्यो में चुनाव होने की वजह से राज्य व केन्द्र सरकार नें राज्यो के चुनावो पर ज्यादा ध्यान लगाया न कि कोरोना से निपटने पर जिसकी वजह से आज स्थिति इतनी बदतर बनी हुई है। राज्यो में चुनाव व पंचायत चुनाव को ध्यान में रखते हुए समय से लॉकडाउन नही लगाया गया व जरूरी कदम नही उठाये गये जिसका परिणाम आज हर एक व्यक्ति भुगत रहा है।
                                                      • दूसरी लहर के इतना तबाही मचाने की एक बङी वजह सरकार का अति-आत्मविश्वास भी था, कि उन्होने और भारतीयो ने कोरोना का हरा दिया है. स्वयं सरकार के मंत्री बिना मास्क के रैलियां करते नजर आये जिसकी वजह से जनता में यह संदेश गया कि कोरोना वायरस पूरी तरह से खत्म हो चुका है। लोगो नें मास्क लगाने छोङ दिये, जिसका खामियाजा जनता को कोरोना महामारी की दूसरी लहर की त्रासदी से भुगतना पङा।
                                                      • 1918-1920 में स्पेनिश फ्लू की तीन लहरे आयी थी जिनमें से दूसरी लहर काफी खतरनाक थी. केन्द्र सरकार को यह लगा कि कोरोना वायरस पूरी तरह से खत्म हो गया है। जिसकी वजह से केन्द्र सरकार ने वैज्ञानिको और डॉक्टरो की दूसरी लहर के बारें में भविष्यवाणियो को झुठला दिया व कोई ठोस कारगर कदम नही उठाये, वैक्सीन के उत्पादन में भी जोर नही दिया गया तथा विदेशो से वैक्सीन भी नही मंगाई गयी व बङी संख्या में वैक्सीन का निर्यात किया गया। अति आत्मविश्वास की वजह से भारत आज कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है।

                                                      डॉक्टरो का कहना है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर जितनी तेजी से फैली है उतनी ही तेजी से इसमें कमी भी आयेगी. लेकिन डॉक्टरो ने यह भविष्यवाणी भी की है कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर आनी तय है जो कि सितम्बर के आसपास आ सकती है जो कि सबसे ज्यादा बच्चो को प्रभावित करेगी। इसीलिए जरूरी है कि आप स्वयं को और अपने बच्चो को सुरक्षित करें और जितनी जल्दी हो सके वैक्सीन की दोनो डोज लें।




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                                                      Wednesday, May 19, 2021

                                                      बिहार का इतिहास, वर्तमान तथा प्रमुख तथ्य- इतना गौरवशाली इतिहास होने के बावजूद आज बिहार इसलिए पिछङा हुआ है-

                                                      बिहार एक ऐसा राज्य है, जहां संस्कृत के रचयिता महर्षि पाणिनी,कामसूत्र व न्यायभाष्य के रचयिता वात्स्यायन, विद्वान कालिदास, भगवान महावीर, खगोलशास्त्री आर्यभट्ट व राजनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य जैसे न जाने कितने अकूत बौद्धिक,ओजस्वी विचारधाराओं वाले अमोल रत्नों ने बिहार की पावन धरा पर जन्म लिया है।

                                                      1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में अंग्रेजी सेना के सेनापति को सात बार युद्धस्थल पर हरानें वाले 80 वर्षीय चिर युवक "बाबू कुंवर सिंह" की जन्मभूमि रही। चलिये जानते है इस राज्य के बारे कुछ तथ्य-
                                                       

                                                      बिहार राज्य का इतिहास:-


                                                      बिहार राज्य का इतिहास इतना वृहद है कि इसे तीन (प्राचीन, मध्य तथा नवीन) भागों में विभाजित किया है। चलिए बिहार के इतिहास की कुछ झलकियों के बारे में अध्ययन करते है-


                                                      •  बिहार का प्राचीन नाम मगध है,तब इसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी।
                                                      • पाटलिपुत्र की स्थापना "उदयिन" ने की थी।
                                                      •   प्राचीन काल में बौद्ध सन्तों द्वारा यहां विहार करने के कारण इसका नाम बिहार पडा़।
                                                      •   गुप्त शासक "कुमार गुप्त" ने विश्व में विख्यात नालन्दा विश्वविद्यालय स्थापित किया ।
                                                      •   सम्राट जरासंध, अशोक, अजातशत्रु, बिम्बसार जैसे महान राजाओं से लेकर स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद व सिखों के दसवें श्री गुरु गोविन्द सिंह जी की जन्मभूमि होने का गौरव भी इसी राज्य को है।
                                                      •   भगवान बुद्ध को बोधगया में ही बोधि वृक्ष पीपल के नीचे फाल्गू नदी के तट पर ज्ञान प्राप्त हुआ।
                                                      •   विश्व में जाना माना प्रसिद्ध विश्वविद्यालय नालन्दा भी यहीं स्थित है ।


                                                      •   1 अप्रैल 1912 को बंगाल प्रेसीडेंसी से बिहार व उड़ीसा अलग हो गए थे।
                                                      •   22 मार्च 1936 को बिहार और उड़ीसा अलग प्रांत बन गए।
                                                      •   15 Nov 2000 को झारखण्ड,बिहार से अलग होकर अस्तित्व में आया।

                                                       बिहार के आधारभूत तथ्य:-

                                                      • राज्य का दर्जा:- 22 March 1912
                                                      • राजधानी:- पटना
                                                      • जिले :- 38
                                                      • राज्यपाल :- फागू चौहान 
                                                      • मुख्यमंत्री:- नीतीश कुमार 
                                                      • हाईकोर्ट:- पटना हाइकोर्ट 
                                                      • मुख्य न्यायाधीश:- अमरेश्वर प्रताप साही
                                                      • MLA:- 243
                                                      • Lok Sabha:- 40
                                                      • Rajya Sabha :- 16

                                                      बिहार राज्य के प्रमुख राजकीय चिन्ह


                                                      • राजकीय चिह्न:- बोधि वृक्ष 
                                                      • राज्य पशु :- बैल
                                                      • राज्य पक्षी:- गौरैया 
                                                      • राज्य वृक्ष:- पीपल 
                                                      • राज्य पुष्प:- गेंदा


                                                      बिहार की भौगोलिक स्थिति:- 

                                                      बिहार राज्य का कुल क्षेत्रफल 99200 वर्ग किमी है।जो कि पुर्तगाल व इण्डियाना देश से अधिक है।

                                                      Map of Bihar

                                                       

                                                      बिहार की प्रमुख नदियाँ-

                                                      • गंगा नदी
                                                      •  कोसी नदी
                                                      • बूढी गण्डक
                                                      • पुनपुन
                                                      •  महानंदा
                                                      • सोन 
                                                      • घाघरा 
                                                      • चन्दन

                                                      बिहार का शोक "कोसी नदी" को कहते है।


                                                      जनसंख्या घनत्व:- 

                                                      भारत का सबसे सघन राज्य बिहार है। जहाँ 1102 व्यक्ति/ वर्ग किमी में निवास करते है।
                                                      साक्षरता का स्तर राष्ट्रीय औसत से नीचे है:- 63.82%

                                                      महत्वपूर्ण बांध:- 

                                                      • नकटी बांध
                                                      • खड़गपुर झील बांध
                                                      • श्रीखंडी बांध
                                                      • अजन बांध

                                                      महत्वपूर्ण झीलें:-

                                                      • गोखुर झील
                                                      • कांवर झील
                                                      • कुशेश्वर झील
                                                      • घोघा झील

                                                      बिहार राज्य के सामान्य तथ्य:-

                                                      • बिहार देश की सर्वाधिक जनसंख्या वाला दूसरा राज्य है।
                                                      •  19 june 2002 को पहली जनशताब्दी एक्सप्रेस रेलगाड़ी का शुभारंभ हुआ।
                                                      •   बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ0 श्री कृष्ण सिंह थे।
                                                      • दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाला प्रथम बिहारी शासक शेरशाह सूरी था।
                                                      • पहला गणराज्य कहा जाने वाला शहर वैशाली था।


                                                      GI TAGS:-

                                                      1. कतरनी चावल 
                                                      2. जरदालू आम
                                                      3. मगही पान 
                                                      4. लीची


                                                      प्रमुख त्यौहार:-

                                                      • छठ पूजा
                                                      • साम चकेवा
                                                      • बिहूला


                                                      प्रमुख नृत्य:-

                                                      •  शास्त्रीय नृत्य- करमा
                                                      •  लोकनृत्य- छऊ नृत्य, कठघोड़वा नृत्य, झिझिया नृत्य, झरनी नृत्य

                                                                     

                                                      महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उद्यान व वन्यजीव अभयारण्य:-

                                                      • कैमूर वन्यजीव अभयारण्य
                                                      • भीमबंध वन्यजीव अभयारण्य
                                                      •  वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान
                                                      • बरेला झेल सलीम अली पक्षी अभयारण्य

                                                       

                                                      UNESCO 🌍 Heritage sites:-

                                                      1. महाबोधि मंदिर
                                                      2. नालन्दा विश्वविद्यालय


                                                      बिहार के महान व्यक्तित्व:-

                                                       प्राचीन काल:- 

                                                      1. कामसूत्र व न्यायभाष्य के रचयिता- वात्स्यायन

                                                      चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्त्राणाम्।
                                                      अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्य आसन्नौ वृत्तपरिणाहः॥


                                                      2- संस्कृत में श्लोक देकर पाई ( π )दशमलव व शून्य बताने वाले अपनी पुस्तक सूर्य सिद्धांत में प्रथ्वी की परिधि 24835 मील का सार्थक अनुमान लगाने वाले- आर्यभट्ट


                                                      3:-अशोक
                                                      4:- गुरु गोविंद सिंह
                                                      5:- आचार्य चाणक्य
                                                      6:- महावीर स्वामी
                                                      7:- शेरशाह सूरी
                                                      8:- समुद्र गुप्त

                                                       साहित्य:-

                                                      1.  नागार्जुन
                                                      2.  फणीश्वरनाथ "रेणु"
                                                      3.  रामधारी सिंह "दिनकर"
                                                      4.  विद्यापति

                                                                      

                                                      संगीत:- 

                                                      1. चित्रगुप्त
                                                      2. बिस्मिल्लाह खान


                                                      राजनीति:-

                                                      1. लोकनायक जयप्रकाश नारायण
                                                      2. कर्पूरी ठाकुर

                                                                    

                                                      बिहार आज अर्श से फर्श पर क्यों है?

                                                      आज बिहार साक्षरता व विकास के मामलों में काफी पिछड़ रहा है, इसका सिलसिला तब से चालू है जब विश्व के कई देशों के छात्र विश्व की दूसरी सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी नालन्दा में पढने आया करते थे। जिस संस्था को खंडहर में बदल दिया धूर्त निरंकुश मूढ़मति इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने।
                                                       
                                                      इतिहासकारों के अनुसार 3 माह तक जलती रही थी नालन्दा विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी की किताबें, साथ ही जल गई 9 लाख पांडुलिपियां, तथा 10000 से भी अधिक आचार्यों को मार दिया गया।
                                                       
                                                      • अंग्रेजों ने भारत के ज्ञान को इस कदर दर्शाया कि हम भारतीय खुद ही अपनी शिक्षा प्रणाली में दोष ढूंढने लगे,जो आगे बढ़ना चाहते थे। उनका सम्मान नही किय, समानता व संसाधन से विमुख होता गया, वह बिहार जहां स्वयं भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया।
                                                      • राजनैतिक दलों ने भी इसे खूब छला,बिहार में हुए घोटालों से शायद ही कोई अनभिज्ञ होगा। प्रशासनिक व्यवस्था ध्वस्त कर दी गई।
                                                      परिस्थितियां कितनी भी विषम क्यों न रही हो लेकिन, फिर भी यह कहा जा सकता है कि-
                                                      हर वर्ष लोकसेवा आयोग में बिहारी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते है। बिहार का एक प्रसिद्ध लोकगीत बिहार व बिहारियों की वास्तविकता कहता है-
                                                      "वीर कुंवर सिंह और शेरशेरशाह बाजी कभी न हारी है।
                                                      बंजर में जो फूल खिला दे सच्चा वही बिहारी है।।"

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                                                      Tuesday, May 18, 2021

                                                      अरुणाचल प्रदेश का इतिहास, वर्तमान तथा प्रमुख तथ्य- यहां घूमने के लिए आपको वीजा चाहिए- पढिए पूरी चीज-

                                                      आइए जानते है, एक ऐसे राज्य के बारे में जहां कहते है कि, भगवान परशुराम प्रायश्चित करने हेतु आये, राजा भीष्मक ने यहां कि सुंदरता के वशीभूत होकर अपना राज्य बसाया तथा भगवान कृष्ण तथा माता रुक्मिणी का विवाह सम्पन्न हुआ। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण इसके साक्ष्यों से भी अवगत हुए है। अरुणाचल प्रदेश एक प्राचीन पारंपरिक राज्य है।

                                                      अरुणाचल प्रदेश का इतिहास:-

                                                      • सन् 1972 तक इसे पूर्वोत्तर सीमान्त एजेंसी के नाम से जाना जाता है।
                                                      • 20 January, 1972 को अरुणाचल प्रदेश को केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला।
                                                      • 15 August, 1975 को चयनित विधानसभा का गठन किया गया तथा पहली मन्त्रिपरिषद ने कार्यभार ग्रहण किया।
                                                      • अरुणाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री:- प्रेम खांडु थुंगन
                                                      • अरुणाचल प्रदेश के पहले उप राज्यपाल:- K.A.A Raja
                                                      •   अरुणाचल प्रदेश के पहले राज्यपाल:- भीष्म नरेन सिंह

                                                       

                                                      सन् 1962 के युद्ध में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के एक बड़े हिस्से में कब्जा कर लिया था किन्तु सभी भौगोलिक स्थितियां भारत के पक्ष में थी, अत: चीन को वापस जाना पड़ा।

                                                      अरुणाचल प्रदेश के आधारभूत तथ्य:-

                                                      • केन्द्र शासित प्रदेश:- 21 January 1972
                                                      • राज्य का दर्जा:- 20 February 1987
                                                      • राजधानी:- ईंटानगर  
                                                      • जिलों की संख्या:- 16
                                                      • राज्यपाल:- B.D Mishra 
                                                      • मुख्यमंत्री:- पेमा खांडु 
                                                      • हाईकोर्ट:- गुवाहाटी हाईकोर्ट 
                                                      • मुख्य न्यायाधीश:- अजय लांबा
                                                      • M.L.A:- 60
                                                      • Lok Sabha :- 2
                                                      • Rajya Sabha:- 1



                                                      सीमावर्ती राज्य तथा देश:- 

                                                      अरुणाचल प्रदेश,असम तथा नागालैंड के साथ अपनी सीमा साझा करता है, इसके पूर्व में म्यांमार, पश्चिम में भूटान तथा उत्तर में चीन (जो पहले तिब्बत था) है।

                                                      Arunanchal pradesh map in India



                                                      अरुणाचल प्रदेश के राजकीय चिह्न:-


                                                      • राजकीय पशु :- मिथुन
                                                      • राजकीय पक्षी:- हाॅर्नबिल
                                                      • राजकीय पुष्प:- Foxtail Orchid
                                                      • राजकीय वृक्ष :- Hollong


                                                      अरुणाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थिति:-

                                                      • पूर्वोत्तर राज्यों में अरुणाचल प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है।
                                                      • किबिथू, भारत का सबसे पूर्वी राज्य है,लोहित नदी भारत में यहीं से प्रवेश करती है।
                                                      • इस प्रदेश की अर्थव्यवस्था मुख्यतः झूम खेती पर आधारित है।
                                                      • वर्ष 2011 के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश का जनसंख्या घनत्व 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
                                                      • अरुणाचल प्रदेश की साक्षरता प्रतिशत 66.95%.

                                                       अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख बांध:-


                                                      1.  रंगनदी बांध - रंगनदी नदी
                                                      2. इटालिन पन बिजली योजना


                                                      अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख त्यौहार और मेला:-

                                                      • लोसर त्यौहार
                                                      • Ziro festival of music🎶
                                                      • न्योकुम
                                                      • लोकू
                                                      • सियांग नदी त्यौहार


                                                      अरुणाचल प्रदेश की प्रमुख नदियाँ:-

                                                      1. ब्रह्मपुत्र नदी
                                                      2. लोहित नदी 
                                                      3. सुबनसिरी नदी 
                                                      4. दिबांग नदी
                                                      5. नमका चू
                                                      6. सियांग नदी


                                                      अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख दर्रे :-


                                                      1:-बोमडिला दर्रा
                                                      2:- बुमला दर्रा
                                                      3:-दिफू दर्रा
                                                      4:-यांग्याप दर्रा
                                                      5:-सेला दर्रा

                                                      अरुणाचल प्रदेश के सामान्य तथ्य:-

                                                      • अरुणाचल प्रदेश को भारत का "Orchid state of India" तथा "Paradise of Botanist" (वनस्पति विज्ञानियों का स्वर्ग) भी कहा जाता है।
                                                      • अरुणाचल प्रदेश तथा गुजरात में सूर्योदय में 1:30 घन्टे का अन्तराल रहता है।
                                                      • भारत के केवल दो ही राज्य हैं जहां केवल अंग्रेजी आधिकारिक भाषा है- अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड
                                                      •  भारतीय टूरिस्टों को यहां आने के लिए Inner Line permit की जरूरत होती है।
                                                      •  अरुणाचल प्रदेश और असम को 9.15 km लम्बा,ढोला सदिया सेतु जोड़ता है।


                                                      राष्ट्रीय उद्यान व वन्यजीव अभयारण्य :-

                                                      • नामदफा नेशनल पार्क
                                                      • नेहरू वन उद्यान 
                                                      • मोउलिंग नेशनल पार्क 
                                                      • मेहाओ वन्य जीव अभयारण्य


                                                      GI TAGS  :- 

                                                      अरुणाचली सन्तरा

                                                      अरुणाचल प्रदेश के नृत्य:-

                                                      • पोंग नृत्य 
                                                      • बरडो छम
                                                      • लाॅयन एंड पीक
                                                      • वांचो नृत्य


                                                      अरुणाचल प्रदेश की महत्वपूर्ण जगहें:-

                                                      1. Ziro valley : Lower subansiri
                                                      2. sela pass: Charidur
                                                      3. Nuranang falls: Tawang
                                                      4. Gorichen peak: Tawang
                                                      5. Bhismaknagar Fort: Lower Dibang
                                                      6. Golden Pagoda: Namsai


                                                      क्या है भारत और चीन के बीच विवाद:-


                                                      भारत चीन के साथ लगभग 3488 km की सीमा साझा करता है। अरुणाचल प्रदेश के उत्तर में तिब्बत देश था, जिस चीन ने कब्जा कर लिया था।


                                                      सन् 1912 तक तिब्बत व भारत के बीच कोई स्पष्ट सीमा रेखा नहीं थी, क्योकिं दोनों के बीच प्राचीन पारंपरिक ऐतिहासिक रिश्ते रहे है, अत: सीमा रेखा की आवश्यकता भी नहीं हुई।

                                                      • अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत का सबसे बड़ा व प्राचीन बौद्ध मन्दिर है।
                                                      • सन् 1914 में ब्रिटिश इंडिया ने तवांग और दक्षिणी हिस्से को भारत में माना तथा तिब्बतियों ने इसे स्वीकार भी किया, तथा सन् 1935 तक यह पूरा क्षेत्र भारत के मानचित्र में आ गया। चीन जिसने कभी  तिब्बत को अलग देश नही माना था। उसने तिब्बत पर सन्  1950 में पूर्ण कब्जा कर लिया।
                                                      • चीन चाहता था कि तवांग उसका हिस्सा रहे जो कि तिब्बत के बौद्धों के लिए काफी अहम है। चीन अपनी विस्तारवादी नीति के कारण जाना जाता है अत:- सन् 1962 मे युद्ध हुआ चीन ने युद्ध जीत लिया किन्तु सारी मानक भौगोलिक स्थितियां भारत के पक्ष में थी। इसलिए चीन को पुन: वापस जाना पड़ा। जिसके बाद भारत सरकार ने पूरे क्षेेत्र पर अपनी शासन व्यवस्था सुदृढ़ कर ली।

                                                      अगर आप हमसें जुङना चाहते है तो हमारे यूट्यूब चैनल से भी जुङ सकते है-

                                                      Truth Today Youtube

                                                      Friday, May 7, 2021

                                                      सरकार ये काम कर ले तो कोरोना की दूसरी लहर को रोका जा सकता है-

                                                       कोरोना वायरस की दूसरी लहर में जहॉ स्वास्थ्य व्यवस्थाओ की स्पष्ट कमी देखी जा रही है तो वही इस लहर नें सरकार की तैयारियों की भी पोल खोल दी है। कोरोना वायरस की पहली लहर से कई गुना ज्यादा संक्रामक और घातक यह दूसरी लहर है।

                                                      पहली लहर जहां वृद्ध लोगो को निशाना बना रही थी तो वही दूसरी लहर की चपेट में अधिकतर युवा वर्ग आ रहा है। 

                                                      देश की वर्तमान हालत यह है कि प्रतिदिन 4 लाख से ज्यादा संक्रमित व्यक्तियों की संख्या मिल रही है तो वही तकरीबन 4000 के आसपास लोगो की मृत्यु हो रही है। अस्पतालो में बेड नही है, अधिकतर मौतें ऑक्सीजन की कमी से हो रही है, तो बहुत से लोग चिकित्सा के अभाव में दम तोङ दे रहे है।

                                                       


                                                      विदेशी मीडिया इसके लिए भारत के प्रधानमंत्री को दोषी ठहरा रही है, और भारतीय मीडिया सिस्टम को. तो इसी के मध्य में हम यह जाननें की कोशिश करते है कि वर्तमान हालात की किस प्रकार जल्दी से जल्दी ठीक किया जा सकता है। जिसके लिए सरकार को क्या कदम उठायें जाने चाहिए।

                                                      देश की वर्तमान हालत सुधारने के लिए इन कदमों पर सरकार को विचार करना चाहिए-

                                                      • देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के संक्रमण को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि देश में कुछ हफ्तो का लॉकडाउन लगाया जायें, जिससें कि संक्रमण का आंकडा घटे और लोगो को थोङी राहत मिलें.
                                                      • इस वक्त देश में तकरीबन 2 फीसदी लोगो को ही टीके के 2 डोज लगे है जबकि सिर्फ 11 प्रतिशत लोगो को  टीके की 1 डोज लगी है। अगर लोगो को मौत के मुंह से बचाना है तो वैक्सीनेशन प्रक्रिया पर बहुत ज्यादा जोर देना होगा। अमेरिका जैसे देश में अाधी आबादी को वैक्सीन लग चुकी है। ब्रिटेन भी अपनी जनसंख्या के वैक्सीनेशन के बहुत करीब है और इजरायल जैसे देश अपने देश के हर एक नागरिक को वैक्सीन लगा चुके है।
                                                      • भारत जैसे बङे और दूनिया की दूसरी सबसे बङी आबादी वाले देश में टीकाकरण के लिए जरूरी है कि विदेशी वैक्सीनो को भी बङी मात्रा में खरीदा जाये और तेजी से वैक्सीनेशन किया जाया जिसके लिए अमेरिका की फाइजर व माडर्ना वैक्सीन भी एक विकल्प है। रूस की स्पूतनिक वैक्सीन को भारत सरकार नें मंजूरी दे दी है। और भारत की दो वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन भारत के नागरिको को लग ही रही है.
                                                      • इस वक्त सरकार को चाहिए कि सेंट्रल विस्टा जैसे प्रोजेक्ट को कुछ समय के लिए रोक कर विदेशो सें बङी मात्रा में वैक्सीन खरीदी जाये और स्वास्थ्य सेवाओ को प्रबल किया जायें.
                                                      • कोरोना महामारी से लडने हेतु यह आवश्यक है कि भारत के शीर्ष डॉक्टरो की एक टीम बनायी जायें और वह भारत के सभी डॉक्टरो को निर्देशित करें कि कोरोना का इलाज किस प्रकार किया जाना है।

                                                        वर्तमान में जानकारी के अभाव में डॉक्टर अपने-अपने हिसाब से कोरोना का इलाज करनें में जुटे हुए है, जब शीर्ष से नेतृत्व प्राप्त होगा तो डॉक्टरो पर भी कुछ बोझ कम होगा व ज्यादा से ज्यादा लोग जल्दी ठीक होने लगेगे।

                                                         
                                                      • देश इस वक्त एक युद्ध से गुजर रहा है और हमारा दुश्मन इस वक्त एक वायरस है, इसलिए यह जरूरी है कि सेना को बुलाया जायें, युद्ध के समय सेना अस्थायी अस्पताल बनाती है जहां सैनिको का इलाज होता है। इस समय में लाखों अस्थाई अस्पतालों, बेडो और ऑक्सीजन की जरूरत है। ऑक्सीजन सप्लाई, वैक्सीनेशन में भी सेना की मदद ली जा सकती है क्योकि सेंना अपने अनुशासन, जज्बे और काम को बेहतरीन ढंग से करने के लिए ही जानी जाती है।
                                                      • नेशनल मीडिया, सभी अखबारों और सभी पार्टियों की आईटी सेल को इस वक्त यह चाहिए कि वह यह बतायें कि ऑक्सीजन कहां-कहां मिल रही है कहां-कहां दवाऐ सस्ते दामों पर उपलब्ध है। छोटे-छोटे जिलों में यह काम आईटी सेल बेहतरीन ढंग से कर सकती है लेकिन इसके लिए जरूरी है कि सरकार और पार्टियां अपनी इच्छा दिखाये औऱ उन्हे जानकारी दे कि कहां सारी सुविधाए उपलब्ध है।
                                                      • पुलिस प्रशासन, सीबीआई, इनकम टैक्स और तमाम ऐसे सरकारी संस्थानो को इस बात के पीछे लगाया जाना चाहिए कि कोई व्यक्ति कालाबाजारी न कर पायें, अगर कोई व्यक्ति कालाबाजारी करता हुआ पकङा जाता है तो कङी से कङी सजा तत्काल दी जायें व नकली दवाओ आदि की ब्रिकी पर नकेल के लिए पुलिस प्रशासन, नारकोटिक्स विभाग जैसे सभी सक्षम व्यक्तियों को युद्धस्तर पर इसके पीछे लगाया जाना चाहिए. ताकि देशवासियों की जान बच सकें.
                                                      • देश में कुछ समय के बाद डॉक्टर लोगो की कमी देखने को मिल सकती है क्योकि डॉक्टर बिना थके लगातार काम कर रहे है, और अपने सामनें बहुत से लोगो को मरने हुए देख रहे है जिसके कारण उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पङ सकता है। इसलिए जरूरी है डॉक्टर को अलग से सुविधाऐ प्रदान की जाये और यदि कोई व्यक्ति सेवा करते हुए मरता है तो उसके परिवार को आर्थिक सहायता, उनके बच्चे को मुफ्त शिक्षा व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए. ताकि डॉक्टर्स यह न सोच सकें कि उनकी मृत्यु के बाद उनके घर वालो का क्या होगा?

                                                      वर्तमान समय में जब हालात हमारे अनुकूल नही है तो हमारा कर्तव्य है कि हम अच्छे समय का इंतजार करें और जितनी हो सके उतनी लोगो की मदद करनें की कोशिश करें और सकारात्मकता का प्रसार करें। 

                                                      दोस्तो 100 साल पहलें भी ऐसी ही महामारी आयी थी जिसनें विश्व और भारत भर में दहशत फैला कर रख दी थी जिसके चलते विश्व भर में 5 करोङ से ज्यादा मौते हुई थी और भारत में 1 करोङ से ज्यादा मौते हुई थी अगर आप स्पैनिश फ्लू के बारें में विस्तार सें पढना चाहते है तो नीचे दिये गये लिंक से पढ सकते है-

                                                      स्पेनिश फ्लू के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

                                                      Thursday, February 25, 2021

                                                      modi_job_do & modi_rojgar_do यह ट्रेंड सोशल मीडिया पर क्यों चल रहा है?

                                                       modi_job_do & modi_rojgar_do इस हैशटैग को ट्वीटर पर ट्रेंड कराने का मुख्य उद्देश्य छात्रो द्वारा अपनी समस्याओ को सरकार के सामने लाना है और चयन प्रक्रिया में सुधार करवाना है। छात्र चाहते है कि इस ट्रेंड के माध्यम से सरकार तक बात पहुँचे और सरकार हमसें हमारी समस्याऐ पूछें और चयन प्रक्रिया में सुधार लायें.

                                                       

                                                       modi_job_do & modi_rojgar_do, यह हैशटैग कब और कैसे शुरु हुआ?

                                                      19 फरवरी को एसएससी सीजीएल टियर 2 परीक्षा का परिणाम आया जिसमें यह देखा गया कि कुछ छात्र ऐसे भी है जिन्होने 85% से ज्यादा स्कोर किया है और कट-ऑफ नही क्लियर कर पाये है. कई छात्र तो ऐसे थे जो कि 200 में से 200 नम्बर लाये थे जिसके बाद भी परीक्षा क्लियर नही कर पाये थें।

                                                      दरअसल एसएससी मेंस की परीक्षा 15-16 और 18 नवम्बर को हुई थी जिसमें से 15 नवम्बर और 16 नवम्बर के पेपर का लेवल ठीक-ठाक था जिसमें छात्रो ने औसतन 120 नम्बर के आसपास स्कोर किया, परन्तु 18 नवम्बर वाला पेपर इतना आसान था कि छात्रो नें 175 के आसपास औसतन स्कोर किया। बाद में जब 19 फरवरी को परीक्षा परिणाम आया तो 15-16 वालो के 60-70 नम्बर तक बढाये गये थे व 18 नवम्बर वालो के इसी हिसाब से कम किये गये थें. जिसके बाद यह सब देखकर छात्रो का गुस्सा फूटा।

                                                      छात्रो का कहना है कि एसएससी मेंस के तीन पेपर क्या एक संस्था द्वारा एक ही लेवल के नही बनाये जा सकते थें? क्या 1.5 लाख बच्चो का एग्जाम एक ही दिन नही कराया जा सकता है? क्या नौकरी पाना अब मेहनत के बजाय किस्मत की बात हो गयी है?

                                                      इन्ही सभी बातो को लेकर छात्रो नें ट्वीटर पर कैपेंन करने की सोची ताकि अपनी बात सरकार तक पहुँचायी जा सकें और चयन प्रक्रिया को तेज और बेहतर बनाया जा सकें।

                                                      SSC और छात्रो के पुराने विवाद-

                                                      वर्ष 2013 में नकल के आरोपो के बाद पेपर को कैसिल किया गया था व दोबारा परीक्षा करायी गयी थी, जिसके बाद यह माना गया कि SSC अब विवादो से दूर रहेगी परन्तु ऐसा कुछ नही हुआ। 
                                                       
                                                      2018 की बात है, एसएससी पर आरोप लगा कि यहां पैसे देकर सीट बांटी गयी है। बाहर से सिस्टम को हैक कर के परीक्षा केन्द्र पर उन लोगो को फायदा पहुंचाया गया है जिन्होने पहले से ही 20–40 लाख रूपये दे दिये है।
                                                      हजारो की संख्या में विद्यार्थी एसएससी कॉम्पलेक्स के सामने इकठ्ठे हुए कि उनकी बात की कोई सुनेगा। होली का माहौल था, हजारो बच्चे घर नही गये औऱ वही रोड पर तकरीबन 3–4 दिन बैठे रहे। विद्यार्थियो की मांगे थी कि पारदर्शिता लायी जाये और अगर धांधलेबाजी हुई है तो उन्हे उचित न्याय मिलें।
                                                       
                                                      एसएससी मेंस की परीक्षा मे ऐसे आरोप लगे जिसके जवाब में छात्रो नें बहुत सारे सबूत पेश कियें और न्याय की मांग की। बाकायदा सीबीआई और सरकार को सबूत दिये गयें। मेंस के एक पेपर को कैंसल किया गया और लगभग 15 दिन बाद कराया गया। 
                                                      बाद में मामला कोर्ट गया और लम्बे समय तक चलता रहा बाद में कोर्ट नें यह कहा कि यह सम्भव नही है कि एक मेहनत कर के आये हुए छात्र और नकल कर के आये हुए छात्र में विभेद किया जा सकें इसलिए समस्त भर्ती जिस प्रकार चल रही थी उसी प्रकार चलती रहने दी जायें.
                                                       
                                                       
                                                      2020 की बात है एसएससी ने रौलेट एक्ट जैसा एक कानून UFM (Unfair means) पास किया, UFM में जिसमें बिना किसी पूर्वसूचना के छात्रो को अयोग्य घोषित कर दिया गया। एसएससी सीएचएसएल का दूसरा Descriptive paper जिसमें Essay writing and letters लिखने होते है उसमें छोटी, xyz , प्रिय अनुज जैसे शब्दो के कारण लगभग 5000 छात्रो को 0 नम्बर देकर फेल कर दिया गया।
                                                       बाद में आरटीआई डाली गयी तो यह बात सामने आयी कि दो समान व्यक्तियों नें समान शब्दो का चयन किया है फिर भी एक को फेल तथा दूसरे को पास कर दिया गया है। जिसके बाद हजारों छात्र मदद की भीख मांगने लगे परन्तु कोई भी मीडिया चैनल और पत्रकार सामने नही आया।

                                                      बहरहाल छात्रो की बहुत ही ज्यादा मशक्कत के बाद जब छात्रो ने UFM को हटाने के लिए ट्वीटर पर ट्रेंड चलाया तब जाकर कहीं  UFM को हटाया गया।

                                                       

                                                      SSC को छात्र सबसे सुस्त कमीशन कहते है जिसके पीछे कि वजह यह है कि 2017 की भर्ती की सारी ज्वाइनिंग  SSC अभी नही दे पाया है. 2018 का रिजल्ट अभी तक पूरा नही आया है। और 2019 सीजीएल के रिजल्ट का अभी सिर्फ टियर 3 हुआ है जिसके लिए यह विरोध हो रहा है।

                                                       

                                                       छात्रो की प्रमुख मांगे क्या-क्या है?

                                                      छात्रो की प्रमुख मांगो में सबसे बङी मांग यही है कि चयन प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाया जायें. छात्रो की कुछ मांगे इस प्रकार है।
                                                      • चयन प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाया जायें।
                                                      • एसएससी में वेटिंग लिस्ट यूपीएससी की तर्ज पर लागू की जाये ताकि ज्वाइन न कर पाने की स्थिति में एक सीट न खराब हो।
                                                      • परीक्षा को जितना हो सके कम शिफ्ट्स में लिया जाये और पेपर का लेवल एक ही तरह का रखा जायें.
                                                      • एसएससी मेंस की परीक्षा को एक ही दिन में एक ही शिफ्ट में कराया जायें.
                                                      • सरकारी विभागो के खाली पदो की जानकारी दी जाये और पद भरे जायें.
                                                      •  एसएससी में लगातार कम हो रही वेकैंसी को बढाया जायें.
                                                      दरअसल 2012 के आसपास एसएससी तकरीबन 20000 पोस्ट एक साल में निकालता था जो कि अब घटकर 2020 में महज 6000 तक रह गयी है। यही हाल बैंकिग सेक्टर का भी है नीचे दी गयी फोटो से आप समझ सकते है कि किस प्रकार वेकैसी घटती जा रही है।
                                                       
                                                       
                                                      ऊपर दी गयी फोटो से आप समझ सकते है कि किस प्रकार एसएससी और बैंक की वेकेंसीज लगातार घटती जा रही है।

                                                      अगर आप हमसें जुङना चाहते है तो हमारे यूट्यूब चैनल से भी जुङ सकते है-

                                                      Truth Today Youtube

                                                      Saturday, January 30, 2021

                                                      महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के बीच मतभेद की इन वजहों को आप अभी तक जानते भी नही होगे-

                                                      नेताजी और गांधीजी के बीच में मतभेद जगजाहिर है, तो इसी बीच 6 जुलाई 1944 को रंगून से किए गए एक रेडियो प्रसारण में नेता जी ने कहा था," हे राष्ट्र पुरुष ! भारत के स्वाधीनता के इस पावन युद्ध में हम आपका आशीर्वाद और शुभकामनाएं चाहते हैं।"

                                                      वे गांधी जी ही थे जिन्होंने सुभाष के विरोध में पट्टाभि सीतारमैय्या को खड़ा किया परंतु इसमें सुभाष चंद्र बोस की जीत हुई। पट्टाभि की हार पर गांधी जी ने कहा था कि यह हार मेरी हार है। बदले में जब नेता जी ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की तब उन्होंने अपनी रेजिमेंट का नाम महात्मा गांधी व नेहरू के नाम पर रखा।


                                                      असल में यह वैचारिक मतभेद थे या सच में नापसंदी ही थी?

                                                      आइए समझते हैं -

                                                      गांधी जी और नेता जी जब पहली बार मिले

                                                      सुभाष बाबू जब आईसीएस की परीक्षा पास कर के देश सेवा करने के लिए जब भारत पहुंचे तो उनका भव्य स्वागत हुआ। 16 जनवरी 1921 को सुभाष भारत लौटे, भारत पहुंचने पर सुभाष ने 'बाबू' का दर्जा प्राप्त कर लिया था। लोग अब उन्हें सुभाष बाबू बुलाने लगे थे, उनके आईसीएस पास करने के बाद पद छोड़ने की बात उस वक्त भारत में ऐसे फैली जैसे जंगल में आग।

                                                      सुभाष बाबू के भारत लौटने पर ब्रिटिश शासकों की कपट नीति से लोहा लेने का नैतिक साहस उन्हें सिर्फ महात्मा गांधी के चमत्कारी व्यक्तित्व में ही दिखाई दिया।

                                                       

                                                      असहयोग आंदोलन के वक्त जोश और उत्साह का यह आलम था कि लोगों ने 'सर' और 'रायबहादुर' की उपाधि वापस कर दी. वकीलों ने वकालत, छात्रों ने स्कूल व किसानों ने मालगुजारी देनी बंद कर दी.
                                                       

                                                      16 जुलाई 1921 को जब गांधीजी मुंबई पहुंचे तो सुभाष उनसें मिलनें जा पहुंचे, गांधी जी ने हर्ष के साथ सुभाष का स्वागत किया.


                                                      गांधी जी की सादगी देख सुभाष बाबू हतप्रभ रह गए और उन्हें विदेशी वस्त्रों में स्वयं गांधी जी से मिलने पर लज्जा के अनुभूति हुई. गांधीजी ने सुभाष को सुझाव दिया कि कलकत्ता जा कर देशबंधु चितरंजन दास से अवश्य मिले.

                                                      कांग्रेस में जब सुभाष बाबू नियुक्त हुए और उनके मतभेद गांधी और नेहरू से हुए
                                                       

                                                      बंगाल के इतिहास में जितना निर्विरोध सहयोग सुभाष को मिला उतना किसी अन्य नेता को कभी नहीं मिला। 1927 के दिसंबर महीने में डॉक्टर एम अंसारी की अध्यक्षता में मद्रास में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन हुआ.  जिसमें पूर्ण स्वाधीनता का लक्ष्य घोषित किया गया ।

                                                      सुभाष बाबू को अखिल भारतीय कांग्रेस का जनरल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया व जवाहरलाल नेहरू और शोएब कुरैशी की भी नियुक्ति हुई। दिसंबर 1928 में कांग्रेस का 45 वां अधिवेशन हुआ, मोतीलाल नेहरू व गांधी जी ने उपनिवेश राज्य को स्वीकार कर लिया।

                                                      परंतु सुभाष बाबू को यह अच्छा नहीं लगा उन्होंने तो प्रारंभ से ही पूर्ण स्वराज का सपना देखा था। इसके बाद सुभाष बाबू ने संशोधन प्रस्ताव प्रस्तुत किया और कहा," मुझे खेद है कि मैं महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव में संशोधन कर रहा हूं यह इसलिए आवश्यक है कि भारत की जनता देश को पूर्ण स्वतंत्र कराने का प्रण ले चुकी है. "


                                                      सुभाष बाबू द्वारा प्रस्तुत इस संशोधन प्रस्ताव के साथ ही काग्रेस के दो गुट बट गए ।
                                                       

                                                      एक गुट संशोधन प्रस्ताव का पक्षधर था व दूसरा विरोधी। आश्चर्यजनक बात यह है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू संशोधन प्रस्ताव के पक्ष में थे।


                                                      जब संशोधन प्रस्ताव सुभाष जी की कोशिशों के बाद भी गिर गया


                                                      एक वक्त यह स्थिति थी कि लग रहा था प्रस्ताव बहुमत के साथ पारित हो जाएगा, परंतु तभी प्रस्ताव के विरोधियों ने इसे ऐसे प्रचारित किया कि यदि महात्मा गांधी के उपनिवेश राज्य विधान के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया तो यह राजनीति से संन्यास ले लेंगे ।

                                                      इस अस्त्र के चलते ही शक्ति परीक्षण में सुभाष बाबू का संशोधन प्रस्ताव 1350 के मुकाबले 973 मतों से गिर गया । इसी बीच सुभाष बाबू व मोतीलाल नेहरू के बीच खुलकर मतभेद सामने आने लगे.

                                                       जब गांधीजी ने सुभाष के विरुद्ध अपना प्रत्याशी खड़ा किया

                                                       1 मई 1936 को कांग्रेस के राष्ट्रपति जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में पूरे भारत में सुभाष दिवस मनाया गया।
                                                       

                                                      फरवरी 1938 में कांग्रेस का 51 वां अधिवेशन हरिपुरा गुजरात में हुआ, इस अधिवेशन के माध्यम से सुभाष का पुनः राजनीतिक अभिषेक हुआ और उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।


                                                      ढाई मील लंबे रास्ते में राष्ट्रपति सुभाष का शानदार स्वागत हुआ वह 51 बलों द्वारा खींचे जाने वाले रथ सवार थे ।
                                                       

                                                      अगले कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष पद के लिए फिर से चुनाव होने थे, काग्रेंस समितियां यह चाहती थे कि सुभाष ही अध्यक्ष पद पर बने रहे और यही देश की जनता भी चाहती थी ।


                                                       परंतु उस वक्त महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरू को पद पर आसीन करना चाहते थे, नेहरू के मना करने के बाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद का नाम सुझाया गया, व उनके मना करने के बाद अध्यक्ष पद के लिए पट्टाभि सीतारमैय्या का नाम बापू ने प्रस्तावित कर दिया।

                                                      सरदार वल्लभ भाई पटेल, जी बी कृपलानी, जमुना लाल बजाज, डॉ राजेंद्र प्रसाद, जयराम दास दौलत, शंकर राव देव ने गंभीर मंत्रणा के बाद यह संदेश प्रसारित किया।
                                                       "कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव अब तक निर्विरोध होता आया है और जब तक विशेष हालात ना हो इस बार के अध्यक्ष को पुनः अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ने की आज्ञा नहीं दी जाती .इन तथ्यों के परिपेक्ष में अब सुभाष को डॉक्टर पट्टाभि सीतारमैय्या के मार्ग से हट जाना चाहिए।"
                                                       
                                                      29 जनवरी 1939 को सुभाष की शानदार विजय से गांधी जैसे उदार नेता क्षुब्ध हो उठे। गांधी जी ने तो यहां तक कह दिया था कि डॉक्टर पट्टाभि सीतारमैय्या की हार मेरी हार है।


                                                      इसके बाद सुभाष ने मई 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया वह फारवर्ड ब्लाक की स्थापना की घोषणा 3 मई 1939 को  की।
                                                      फारवर्ड ब्लाक का पहला अधिवेशन 22 जून 1939 को मुंबई में हुआ था ।

                                                       11 जुलाई 1939 को वर्धा में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में एक निर्णय लिया गया जिसमें सुभाष को 3 वर्ष के लिए कांग्रेस कार्यसमिति में किसी भी स्थान से चुनाव लड़े जाने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था ।

                                                       ब्रिटिश सरकार गांधी और नेहरू से कहीं ज्यादा सुभाष से आतंकित थी तभी उनकी सभाओं पर रोक लगा दी जाती थी।
                                                      जब नेताजी ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की तब उन्होंने गांधी और नेहरू के नाम पर ब्रिगेड बनाई .

                                                       

                                                      23 अक्टूबर 1943 को जब आजाद हिंद सरकार बनी तब जापान तथा अन्य लगभग 11 देशों ने आजाद हिंद सरकार को मान्यता दे दी.


                                                      आजाद हिंद फौज में नेताजी ने नेहरू व गांधी ब्रिगेड की स्थापना की।


                                                      नेहरू व गांधी जी से मतभेद होने के बावजूद उन्होंने आजाद हिंद फौज की ब्रिगेडो के नाम उन पर रखें।


                                                      नेहरू ब्रिगेड गांधी ब्रिगेड व आजाद ब्रिगेड में से बेहतरीन पंक्तियों को चुनकर एक सुभाष ब्रिगेड बनाया गया था।


                                                       सुभाष बोस ने आजाद हिंद फौज को संबोधित करते हुए कहा था," ईश्वर के नाम पर मैं यह पावन शपथ लेता हूं कि भारत और उसके 38 करोड़ देशवासियों को स्वतंत्र करवाऊँगा, मैं सुभाष चंद्र बोस अपने जीवन के अंतिम सांस तक स्वतंत्रता की पवित्र लड़ाई को जारी रखूंगा, मैं सदैव भारत का सेवक रहूंगा और 38 करोड़ भारतीयों भाइयों और बहनों के कल्याण को अपना सर्वोच्च कर्तव्य समझूंगा।"

                                                      जब रंगून से रेडियो प्रसारण के वक्त नेता जी ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहा और उनसे आशीर्वाद मांगा

                                                       नेता जी ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से महात्मा गांधी के नाम एक अपील जारी की और रेडियो प्रसारण में उनसे कहा ," मैं सचमुच यह मानता हूं कि ब्रिटिश सरकार भारत के स्वाधीनता की मांग कभी स्वीकार नहीं करेगी मैं इस बात का कायल हो चुका हूं कि यदि हमें आजादी चाहिए तो मैं खून का दरिया से गुजरने को तैयार रहना होगा अगर मुझे कोई भी उम्मीद होती कि इस युद्ध में एक और मौका आजादी पाने का एक और सुनहरा मौका अपनी जिंदगी में मिलेगा तो मैं शायद घर छोड़ता ही नहीं .  मैंने जो भी किया है वह अपने देश के हित के लिए क्या है विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने और भारत के स्वाधीनता के लक्ष्य के निकट पहुंचने के लिए किया है "


                                                      गांधी के नाम अपने संदेश का समापन उन्होंने इन शब्दों में किया.
                                                       

                                                      भारत की स्वाधीनता की आखिरी लड़ाई शुरू हो चुकी है आजाद हिंद फौज के सैनिक भारत की भूमि पर वीरता पूर्वक लड़ रहे हैं यह सशस्त्र संघर्ष आखिरी अंग्रेज को भारत से निकाल फेंकने और नई दिल्ली के वायसराय हाउस पर गर्वपूर्वक राष्ट्रीय तिरंगा लहराने तक चलता ही रहेगा हे राष्ट्र पुरुष भारत के स्वाधीनता के इस पावन युद्ध में हम आपका आशीर्वाद व शुभकामनाएं चाहते हैं "
                                                       

                                                      सुभाष बाबू ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था तो वहीं गांधी जी ने सुभाष चंद्र बोस को देशभक्तों का देशभक्त कहा था गांधी जी ने अपने एक भाषण के दौरान कहा था कि यदि सुभाष अपने प्रयासों में सफल हो जाते हैं और भारत को आजादी दिला देते हैं तो उनकी पीठ थपथपा ने वाला सबसे पहला व्यक्ति में होऊँगा.


                                                      अत: इस आधार पर कहा जा सकता है कि नेताजी व गांधी जी कें बीच मतभेद थें, मनभेद नही ।

                                                      परन्तु भारत सरकार द्वारा कुछ साल पहलें नेताजी की फाइलें सार्वजनिक कियें जानें सें यें पता चला है कि आजादी कें बाद 20 साल नेताजी कें परिवार की जासूसी की जा रही थी।

                                                      जों सारें मतभेदो कों उजागर करता है।


                                                      अगर आप हमसें जुङना चाहते है तो हमारे यूट्यूब चैनल से भी जुङ सकते है-

                                                      Truth Today Youtube

                                                      Friday, January 15, 2021

                                                      क्या सिर्फ 2.5% लोग ही इनकम टैक्स भरते है? सच्चाई जानिए और जागरूक बनिये

                                                      अक्सर यह देखा जाता है कि लोग कहते है कि आप कितना टैक्स देते है, या कितना इनकम टैक्स देते है। कहने का तात्पर्य अधिकतर यह ही होता है कि आप टैक्स भरते ही नही है। ऐसी बातें सोशल मीडिया पर अधिकतर कहीं जाती है।

                                                      लोग उनकी बातों को मान भी लेते है कि वे सरकार को टैक्स नही देते है क्योकि अधिकतर लोगो के पास जानकारी का अभाव है। इसीलिए आइये इस आर्टिकल के माध्यम से हम समझने की कोशिश करते है कि क्या आम व्यक्ति बिलकुल ही टैक्स नही देता है।

                                                      और क्या सिर्फ2%लोग ही इनकम टैक्स भरते है जबकि 97.5% जनता इन 2.5% लोगो के टैक्स पर पलती है ऐसी बातें राजनीतिक लाभ के लिए खूब वायरल की जाती है तो आइये समझने की कोशिश करते है कि क्या सच में 2.5% लोग ही इनकम टैक्स भरते है। चलिए उससे पहले यह समझने की कोशिश करते है कि सरकार टैक्स क्यो लेती है-

                                                      सरकार टैक्स क्यो लेती है और आप टैक्स क्यो देते है?

                                                      बहुत पहले आदमी आदिमानव के रूप में रहा करता था, तब किसी भी प्रकार का टैक्स जैसा सिस्टम नही था. धीरे-धीरे उसमें बुद्धि आयी और उसका विकास होता गया, विकास होता गया तो साथ-साथ रहने लगे और गांव, नगर व शहर बनने लगे। अब शहर में तो रोङ की भी जरूरत थी और बाकी की सुविधाओ की भी तो लोगो ने सोचा कि हम लोगो के बीच से ही कुछ लोगो को चुनकर भेजते है जो हमारी समस्याओ का निपटारा करेगे. यही से लोकतंत्र जैसी चीज बनी और सरकार भी इसी प्रकार के कांसेप्ट से बनी।

                                                      इस हिसाब से सरकार हम लोगो ने ही अपनी समस्या को दूर करने के लिए ही बनायी थी, क्योकि घर-परिवार सम्हालने के अलावा सब काम तो हर एक व्यक्ति नही कर सकता। सरकार बनी तो अब सरकार को भी पैसे चाहिए थे कि वह उन पैसो से लोगो की समस्याओ को दूर कर सके। तो सरकार ने लोगो से टैक्स के रूप में पैसे लेने शुरू किये.

                                                      जैसे मान लीजिए आपके शहर मे रोड की दिक्कत है तो हर एक नागरिक पैसा इकठ्ठा करें, फिर कोई कांट्रेक्टर से बात करे फिर रोड बनवायें। इन सारी दिक्कतो का समाधान निकालने के लिए सोचा गया कि कुछ लोगो को चुन कर भेजते है जो इस तरह की समस्याओ को दूर करेगे और हम उनको अपनी जेब से कुछ न कुछ पैसे देते रहेगे। असल में सरकार आपके पैसो से ही विकास करती है और बाकी सारे काम भी आपके पैसो से ही चलते है, सरकार बस उन पैसो की देखरेख करती है कि कब कितने पैसे कहां खर्च करने है? गरीब के उत्थान हेतु स्कीम, विकास, रक्षा व अन्य हजारों तरीको से सरकार सब कुछ मैनेज करती है.

                                                      आपसे सरकार है, सरकार से आप नही।

                                                      पुराने समय में जब राजशाही थी तब भी टैक्स का सिस्टम था, जनता से टैक्स लेकर राजा राज्य को बाकी सारें कामकाजों का निपटारा करते थें. टैक्स की प्रक्रिया में समय के साथ सुधार होता गया और आज हम 2021 में यहाँ खङे है।

                                                      अब बात आती है कि आप कितना टैक्स देते है और कितने तरह के टैक्स देते है?

                                                      जीएसटी आने से पहले एक आम नागरिक को कई तरह का टैक्स देना पङता था परन्तु जीएसटी आने के बाद मोटे तौर पर सिर्फ दो तरह का टैक्स देना पङता है जो कि जीएसटी व इनकम टैक्स है।

                                                      जीएसटी के बारें में समझने वाली बात यह है कि जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है, जो कि वस्तुओ और सेवाओ पर लगता है और इसको मुख्यत दुकानदारो या व्यापारियों को देना होता है। व्यापारी जीएसटी देता है परन्तु जीएसटी वसूला आपसे जाता है।

                                                      मान लेते है कि कोई वस्तु 100 रूपये में व्यापारी उपभोक्ता को बेचना चाहता है परन्तु सरकार कह रही है कि आपको जीएसटी के तौर पर 18% टैक्स सरकार को देना पङेगा तो वह 18% टैक्स तो सरकार को दे देगा परन्तु 100 रूपये की चीज के दाम बढा कर अपनी सुविधानुसार 118 या इससे ज्यादा कर देगा।

                                                      अगर आपको ध्यान हो तो मार्च 2020 के बाद से मोबाइल फोन के दामों में काफी बढोत्तरी हुई है जिसका मुख्य कारण मोबाइल फोन पर लगने वाले जीएसटी दर को 12 से 18 प्रतिशत किया जाना है।


                                                      जीएसटी निम्न कैटेगरी में लिया जाता है- 

                                                      5%, 12%, 18%, 28%.

                                                      5% जीएसटी स्लैब के अंदर कुल 14% वस्तुऐ आती है जिनमें से अधिकतर खाने-पीने से जुङी चीजे है जैसे कि चाय, काफी, ब्रेड.

                                                      12% जीएसटी स्लैब के अंदर कुल 17% वस्तुऐ या सेवाऐ आती है जो कि लूडो, कैरम बोर्ड और अन्य ढेरो प्रकार की वस्तुऐ.

                                                      18% जीएसटी स्लैब के अंदर कुल 43% वस्तुऐ आती है.

                                                      28% जीएसटी स्लैब के अंदर कुल 19% वस्तुऐ और सेवाऐ आती है इनमें से अधिकतर शौक से जुङी हुई चीजे होती है जैसे कि हैयर ड्रायर, सनस्क्रीम, डिशवॉशर आदि.

                                                      कुल मिलाकर 7% वस्तुऐ ऐसी है जिनपर किसी भी प्रकार का जीएसटी नही लगता मतलब कि 0%. जैसे कि सब्जियॉ, अनाज, बेसन, नमक आदि.

                                                       

                                                      खाने-पीने की चीजों पर जीएसटी बहुत कम है तो वही शौक से सम्बन्धित चीजो पर जीएसटी 28% है, जैसे कि आप परफ्यूम या फैशवॉश जैसी कोई चीज खरीदते है तो आप 100 में से 28 रूपये अप्रत्यक्ष रूप सें सरकार को दे रहे होते है। औसतन जीएसटी 18% मानी जाती है।

                                                      कुछ लक्जरी कारों में जीएसटी की दर 40% तक भी पहुँच जाती है।

                                                      अब आप इस प्रकार समझिये के यदि आप महीने भर में 10000 का खर्चा करते है तो उसमें से औसतन 18% यानी 1800 रूपये सरकार को सिर्फ जीएसटी दे देते है।

                                                      जीएसटी के दायरे से कई सारी चीजो को अलग रखा गया है जैसे कि शराब, पेट्रोल, मादक पदार्थ. पेट्रोल और शराब पर तो आप उतना टैक्स देते है जितना कि पेट्रोल की असल कीमत नही होती। मोटेतौर पर मानकर चले तो पेट्रोल और शराब पर यदि आप 100 रूपये खर्च कर रहे है तो आप 50 से ज्यादा रूपये सरकार को दे रहे है।

                                                      सरकार इन रूपयो से ही गरीबों को कल्याण के लिए योजनाऐ लाती है और सबकुछ आपके इन टैक्स के पैसो से ही करती है।

                                                      अब बात करते है इनकम टैक्स की-

                                                      क्या सिर्फ 2.5% लोग ही इनकम टैक्स भरते है?

                                                      सिर्फ 2.5% लोग ही इनकम टैक्स भरते है यह आंकङा एक प्रकार से भ्रमित करनें वाला है, क्योकि इसका मतलब यह भी निकाला जा सकता है कि 97.5% लोग इनकम टैक्स की चोरी करते है या फिर 97.5% लोग ईमानदार नही है, जो कि पूरी तरह से गलत है। 

                                                      यह अर्धसत्य है, क्योकि इनकम टैक्स उन लोगो को भरना पङता है जिनको सरकार मानती है कि ये इतना कमा रहे है कि इनको टैक्स देना चाहिए। वर्तमान समय में 5 लाख वार्षिक आय पर किसी भी प्रकार का इनकम टैक्स नही देना पङता है।

                                                      एक और उदाहरण से यह जानने की कोशिश करते है कि क्या 2.5% ही इनकम टैक्स भरते है.

                                                      मान लेते है वर्तमान में भारत की जनसंख्या 140 करोङ है. इन 140 करोङ लोगो में से तकरीबन 70 करोङ लोग ऐसे है जो कि 25 वर्ष से कम है और किसी प्रकार की कमाई नही करते है। अब बचे 70 करोङ लोगो में से आधी महिलाएं है, जिनमें से अधिकतर घरेलू महिलाएं है जो कि घर के काम करती है, इनमें से बहुत सारी महिलाएं ऐसी होगी जो कि दूसरो के घरों पर काम करती होगी, कुछ दिहाङी पर काम करनें वाली महिलाऐ होगी तो कुछ छोटी मोटी फैक्ट्रियों पर काम करनें वाली महिलाऐ होगी। हालांकि कुछ महिलाऐं ऐसी जरूर होगी जो कि 5 लाख से ज्यादा कमाती होगी लेकिन उनकी संख्या का अनुमान आप स्वयं के आसपास देखकर स्वयं लगाइयें.

                                                      अब बचते है 140 करोङ लोगो में से सिर्फ 35 करोङ पुरूष जो कि 25 वर्ष से ज्यादा की आयु के है। इन 35 करोङ पुरूषों में से लगभग 17-18 करोङ कृषि पर निर्भर है, और कृषि पर किसी भी प्रकार का इनकम टैक्स देना नही पङता. इनमें से बहुत से किसान ऐसे भी होगे जिनकी जमीन बहुत ही कम होगी.

                                                      अब बचते है 17 करोङ अन्य पुरूष जो कि 25 साल से ऊपर है और कृषि पर निर्भर नही है, ऐसे पुरूषों में बहुत बङी संख्या में ऐसे व्यक्ति है जो कि दिङाडी पर काम करते है जो कि मजदूर, आटोरिक्शा चालक, इलेक्ट्रीशियन, नाई, प्लम्बर, मिल में काम करने वाले लेबर, होटल में काम करनें वाले व्यक्ति, सङक पर ठेला लगाने वाले व्यक्ति, दूधवाले, पेट्रोल पंप पर काम करने वाले और अन्य बहुत सारे व्यक्ति.

                                                       इनकी संख्या निकाल दे तो तकरीबन 5-7 करोङ व्यक्ति ही ऐसे बचते है जो कि 5 लाख से ज्यादा सालाना कमाते है और टैक्स भरने की सीमा के अंतर्गत आते है।इतना सब कहने का आशय यह है कि भारत में इनकम टैक्स 2.5% व्यक्ति इसलिए भरते है क्योकि कुछ प्रतिशत लोग ही ऐसे है जो सालाना 5 लाख से ज्यादा कमा पाते है। ऐसे लोगो की संख्या 5% के आसपास होगी।

                                                       यदि आप सरकारी या प्राइवेट कर्मचारी है और आपकी सैलरी अकाउंट के माध्यम से आती है और वह 5 लाख सालाना से ज्यादा है तो आप इनकम टैक्स से बच नही सकते, अगर आप बचने की कोशिश करते है तो आपके खिलाफ कङी कार्यवाही भी हो सकती है।

                                                       

                                                      आपको आपकी आय के अनुसार कितना इनकम टैक्स देना पङता है इसकी जानकारी के लिए आप नीचे की तस्वीर देख सकते है-

                                                      Image Source-ReLakhs.com


                                                      मोटे तौर पर कहूँ तो यदि आप 15 लाख से ज्यादा एक साल में कमा रहे है तो आपको सरकार को 30% टैक्स देना पडेगा।

                                                      एक व्यापारी के तौर पर यदि आप 10 करोङ रूपये कमाते है तो तकरीबन आपको 5 करोङ सरकार को टैक्स के रूप में देना पङता है. (30% इनकम टैक्स व 18% जीएसटी, जीएसटी अप्रत्यक्ष रूप से आपसे और हमसे वसूली जाती है लेकिन इसको भरता व्यापारी ही है.)

                                                      ज्यादातर इनकम टैक्स की चोरी व्यापारी वर्ग करता है क्योकि यहां पर सरकार को सही से अनुमान नही लग पाता कि कितना पैसा व्यापारी कमा रहा है। इसीलिए सरकार ऑनलाइन बैकिंग प्रणाली या ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पर ज्यादा जोर देती है। क्योकि इसके माध्यम से सरकार को यह पता चल जाता है कि व्यापारी कितना कमा रहा है और उस पर टैक्स दे रहा है या नही।

                                                      ऐसा धन जिसपर टैक्स दिया जाना चाहिए और उस पर टैक्स नही दिया जाता व अघोषित ही रखा जाता है, ऐसे धन को काला धन कहते है।

                                                      कुछ अन्य सवालो के जवाब जानने की कोशिश करते है-

                                                      क्या इनकम टैक्स देने वाले 2.5% लोग बाकी के 97.5% लोगो को पाल कर ही देश को चला रहे है?

                                                      इसका जवाब ना है, क्योकि आप जीएसटी अप्रत्यक्ष रूप से देते ही है, आप पेट्रोल और शराब जैसी चीजो पर जीएसटी से ज्यादा टैक्स देते है। व टोल टैक्स जैसे अन्य कई प्रकार के अप्रत्यक्ष कर देते है। यदि आप 5 लाख से कम कमा रहे है तो आप इनकम टैक्स को दायरे में आते ही नही।

                                                      अक्टूबर 2020 में सरकार को 1 लाख 5 हजार करोङ का राजस्व सिर्फ जीएसटी से प्राप्त हुआ है, अधिक जानकारी के लिए आप नीचे का ग्राफ देख सकते है जो कि वित्तमंत्रालय को वेबसाइट से लिया गया है।

                                                      सरकार को राजस्व इनकम टैक्स, जीएसटी और कॉरपोरेट टैक्स इन सबसे ही प्राप्त होता है तो इसमें ऐसी कोई बात नही है कि 2.5% इनकम टैक्स देने वाले लोग ही देश को पाल रहे है।

                                                      फरवरी 2020 से जनवरी 2021 तक का कुल जीएसटी कलेक्शन. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अप्रैल, मई और जून जैसे कुछ महीने ऐसे है जब देश में लॉकडाउन था.


                                                      एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार को प्राप्त होने वाले हर 300 रुपये में से 200 रूपये इनडायरेक्ट टैक्स से ही प्राप्त होते है।

                                                      सिर्फ 2% ही इनकम टैक्स देते है बाकी के 98% व्यक्तियो को सरकार पालती है ऐसी बाते सोशल मीडिया पर वायरल क्यो होती है?

                                                      ऐसी खबरे अधिकतर राजनीतिक उद्देश्य के लिए भी वायरल की जाती है जिसमें लोगो को सही जानकारी नही होती, और पढने वाले को भी लगता है कि वह टैक्स नही दे रहा है और इस प्रकार वह स्वयं को इन मामलो से अलग कर लेता है. परन्तु असल में वह सब पैसा आपका ही होता है.

                                                      एक और बात जो अक्सर कहीं जाती है कि अमेरिका जैसे देशो में 50% लोग इनकम टैक्स देते है जबकि यहां सिर्फ 2.5% लोग, यहां के लोगो को बैठे-बैठे खाना चाहिए, टैक्स नही देना चाहते। इसका सीधा जवाब यही है कि वहां के लोग अमीर है वो इतना कमाते है कि सरकार द्वारा जारी इनकम की सीमा से ज्यादा उनकी इनकम है तो वो टैक्स देते है। भारत में भारत सरकार द्वारा जारी इनकम टैक्स की सीमा से ज्यादा की इनकम वाले ज्यादा व्यक्ति है ही नही तो इनकम टैक्स कहां से देगे।

                                                      अब आपको अनुमान लग चुका होगा कि आप कितना धन सरकार को टैक्स के रूप में देते है, कोरोना महामारी के फलस्वरूप यह बात विचारणीय जरूर है कि क्या आप जितना टैक्स देते है उतनी ही सेवाऐ आपको वापस मिली भी है या नही.

                                                      अगर आप हमसें जुङना चाहते है तो हमारे यूट्यूब चैनल से भी जुङ सकते है-

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