भारत में ऐसी सैकड़ो जातियां और जनजातियां है जो आज भी अपनें पुरानें रीति-रिवाजों कें अनुसार चलतें है और आज की आधुनिकता सें कोसो दूर सामान्य जीवन जीतें है। इनकें कुछ नियम सामान्य समाज सें बिलकुल हटकर होतें है। आज भी यें लोग पर्वतों पर रहतें है और आधुनिकता सें बहुत दूर है।
आइयें
जानतें है ऐसी ही जातियो और जनजातियों कें बारें में -
मिशमी
यह जनजाति पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश असम और तिब्बत क्षेत्र में पाई जाती है जिसमें लोग तिब्बती बर्मी परिवार की भाषा बोलते हैं.
मिशमी
लोगों का वंश पिता की तरफ से चलता है और युवा अपने पिता के कुल के बाहर विवाह के
लिए बाध्य हैं उनकी बस्तियां छोटी होती है इनकी जनजाति का कृषि कृषि का तरीका पुराना है यह देवताओं पर
विश्वास करते हैं जनसंख्या के आधार पर यह अरुणाचल में सबसे बड़ी जनजाति है।
भील
यह भारत
की एक प्रमुख
जनजाति है इस जनजाति के लोग मुख्य रूप से कृषि करते हैं। सामाजिक दृष्टि से इनकी पीढ़ियां पिता की तरफ से चलती हैं। यह जनजाति मुख्य रूप से गुजरात, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान
में पाई जाती है।
भील जाति
दो प्रकार उजलिया भील व लंगोट भील में विभाजित है और उजलिया भील मूल रूप से वे
क्षत्रिय हैं जो मुगल आक्रमण के समय जंगलों में चले गए थे और मूल भीलो से विवाह कर
वहीं रहने लगे। लंगोट भील वहीं के रहने वाले मूल भील है ।
खासी
खासी
जनजाति पूर्वोत्तर भारत के मेघालय, असम और बांग्लादेश के कुछ क्षेत्रों में
निवास करती है। यह लोग जयंतिया पहाड़ियों में रहते हैं और हष्ट पुष्ट व परिश्रमी
होते हैं।
इस जनजाति
में वंश मातृसत्तात्मक होता है शादी के बाद इनमें पति ससुराल में रहता है और
महिलाओं द्वारा चुने गए पुरुषों से शादी होती है। यह लोग मुख्य रूप से खेती करते हैं।
गद्दी
यह जनजाति
हिमाचल प्रदेश के पश्चिमी सीमा पर पाई जाती है। गद्दी जनजाति के लोग अपने आप को यह राजस्थान के 'गढवी' शासकों का वंशज बताते हैं, इनका मूल विश्वास है कि मुगलों के
आक्रमण काल में धर्म व समाज की पवित्रता बनाए रखने के लिए राजस्थान छोड़कर हिमाचल
में आकर बसे थे।
गद्दी
जनजाति के लोग हिंदू धर्मावलंबी होते हैं यें शिव व मां पार्वती के विविध रूपों के
साथ उनकी आराधना करते हैं। उनके द्वारा नवरात्र का पर्व विशेष रूप से मनाया जाता
है। इन लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है यह जौं, गेहूं और चावल की खेती करते हैं।
गोंड
यह जनजाति विंध्य पर्वत, सतपुड़ा, छत्तीसगढ़ के मैदान में गोदावरी नदी के आसपास रहती है।गोंड, भारत की प्रमुख जनजाति है यह प्राचीन गोंड राजाओं को अपना वंशज मानती है।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा राज्य में यह जनजाति अब मुख्य
रूप सें निवास करती है, गोंड
जनजाति के लोग काले व भूरे रंग के होते हैं्।
केसलापुर, जात्रा व मड़ाई गोंड जनजाति के प्रमुख पर्व है तथा गोसावी इस जनजाति का प्रमुख लोक
नृत्य है।
थारू
इस जनजाति
का निवास क्षेत्र नैनीताल, उत्तर प्रदेश व दक्षिण पूर्व से लेकर गोरखपुर और नेपाल
की सीमा तक है। थारू लोग खेती, पशुपालन, शिकार मछली पकड़ते हैं वह वनों में कार्य
करते हैं ।
समाज
पितृसत्तात्मक होने के बावजूद संपत्ति पर पुरुष से ज्यादा महिला का अधिकार होता है, थारू जनजाति के लोग प्रेत-आत्माओं की
पूजा करते हैं यह ईमानदार शांत प्रकृति वाले होते हैं तथा होली दीपावली व
जन्माष्टमी पर्व को बड़े आनंद से बनाते हैं।
डफला
यह जनजाति
पूर्वी भूटान, अरुणाचल प्रदेश में निवास करती है। यह चीनी-तिब्बती परिवार की
तिब्बती-बर्मी भाषा बोलते हैं। इन लोगों को 'बंगनी' भी कहा जाता है।
यह लोग
झूम खेती, शिकार व
मछली पकड़ते है। यह बल्लियो से बने घरों में 3000 से 6000 फिट की ऊंचाई पर रहते हैं। समाज पितृसत्तात्मक होता है व एक ही
परिवार के नीचे अन्य परिवार के सदस्य रहते हैं लेकिन सब का चूल्हा अलग होता है।
टोडा
यह जनजाति
नीलगिरी पर्वत पर रहती है जिसका मुख्य व्यवसाय पशुपालन है यह लोग 'टोडा' भाषा बोलते हैं जो कन्नड़ भाषा से
संबंधित एक द्रविड़ भाषा है। यह लोग अपना परंपरागत दूध का धंधा और बांस की
वस्तुओं का व्यापार करतें है
व नीलगिरी के अन्य लोगों से कपड़ा और मिट्टी के बर्तन लेते हैं।
इस जनजाति
में बहुविवाह आम बात है इसमें कई लोगों की एक ही पत्नी हो सकती है।
टोडा
जनजाति में जब कोई स्त्री गर्भवती होती है तो पुरुष उसे तीर व कमान खिलौने भेंट
करता है और बच्चे का पिता होने की घोषणा करता है।
कुकी
यह जनजाति
भारत और म्यांमार की सीमा पर मिजो पहाड़ियों पर रहती है यह लोग कद में छोटे होते
हैं और नागा लोगों के ज्यादा खूंखार समझे जाते हैं।
इस जनजाति
के लोग अपने सरदार की आज्ञा का पालन करना अपना धर्म समझते हैं उनका सरदार एक
प्रकार का राजा होता है जिस के आदेश का आंख मूंदकर पालन किया जाता है ।
मुखिया का सबसे छोटा पुत्र अपने पिता की संपत्ति का उत्तराधिकारी होता है।
नागा
यह जनजाति
मुख्य रूप से नागालैंड में नंगा पर्वत श्रेणियों पर निवास करती है जो पूर्वोत्तर
भारत और म्यांमार के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में निवास करती है ।
यह बांस
के बने घरों में रहते हैं इनका मुख्य धंधा शिकार है यह एक योद्धा जनजाति है तथा
उनकी वीरता को देखकर ही इनके विवाह होते हैं ।
हॉर्नबिल
उत्सव नगर लोगों का प्रमुख त्योहार है इनका प्रमुख धर्म ईसाई है ।