Thursday, May 20, 2021

केन्द्र और राज्य सरकारो की इन गलतियों का खामियाजा आज हर भारतवासी भुगत रहा है। पढिये पूरा लेख-

 देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर जहाँ लोगो को डरने पर मजबूर कर दिया है, लोग घर पर रहने को मजबूर है तो इसी स्थिति के बीच कोरोना वायरस की तीसरी लहर भी दस्तक देती हुई महसूस हो रही है। कई देशो व उत्तराखंड के कुछ इलाको में तीसरी लहर बच्चो को प्रभावित कर रही है।

Corona Virus File Image

 

देश में जहाँ तीसरी लहर के आने की आशंका व्यक्त की जा रही है, लेकिन अभी दूसरी लहर की तबाही का रूप वैसा ही बना हुआ है। आइये जानने की कोशिश करते है कि क्या कदम उठाये जाने चाहिए थे ताकि दूसरी लहर के इस भयावह विनाश को कुछ हद तक कम किया जा सकता.

  • इंग्लैंड और पश्चिमी देशो में जब कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन मिला था तब किसी भारतीय ने ना ही भारत सरकार ने यह सोचा था, कि कोरोना वायरस का यह नया स्ट्रेन भारत में इतनी तबाही मचा सकता है। कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन मिलने पर सबसे पहले भारत सरकार को वहाँ से आने वाली सभी फ्लाइट को रद्द कर देना चाहिए था व भारतीयो को वहाँ जाने से मना कर देना चाहिए था। 
  • जिन देशो में कोरोना वायरस का दूसरा स्ट्रेन फैला था वहाँ विशेषज्ञो की टीम भेजकर यह देखना चाहिए था कि वह कैसे दूसरे स्ट्रेन से निपट रहे है व जिन देशो ने दूसरे स्ट्रेन से सफलतापूर्वक निपटने में सफलता पायी थी उनकी पूरी रणनीति का खांका बनाकर तैयार कर लेना चाहिए था क्योकि दूसरा स्ट्रेन भारत में भी आ सकता था।
  • कोरोना वायरस की दूसरी लहर में स्वास्थ्य सुविधाओ और ऑक्सीजन की कमी के कारण हजारो लोगो की मौते हुई है, केन्द्र सरकार का कहना है कि उन्होने अप्रैल 2020 के आसपास ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए राज्यो को पैसा दिया था, जिनमें से लगभग 30-40 प्रतिशत ही ऑक्सीजन प्लांट लग पाये है। जबकि राज्यो का कहना है कि उन्हे जमीन देनी थी जबकि ऑक्सीजन प्लांट केन्द्र सरकार को ही लगाने थें. अगर केन्द्र सरकार राज्यो में चुनावो पर ज्यादा ध्यान न लगाकर राज्यो से सवाल-जवाब तलब करती है इस बात की जानकारी लेती कि कितने ऑक्सीजन प्लांट लग पाये है और मेडिकल सुविधाओ में कितना सुधार हुआ है तो देश में इतनी बङी तबाही को काफी हद तक कम किया जा सकता था।
  • देश में फ्रंट लाइन वर्कर्स के वैक्सीनेशन का काम मध्य जनवरी से चालू हो गया था, जिसके बाद सरकार नें वैक्सीन मैत्री नामक एक योजना चलायी जिसके तहत लगभग 6 करोङ 63 लाख वैक्सीन विदेश भेजी गयी। जहाँ से सरकार को बहुत वाहवाही प्राप्त हुई, वैक्सीन को इतनी ही बङी मात्रा में बाहर भेजने के बजाय फ्रंट लाइन वर्कर्स के साथ-साथ पत्रकारो और शिक्षको जैसे तमाम जरूरी व्यक्ति जो आपदा में काम आ सकते है इनको लगायी गयी होती तो हजारो लोगो की जाने बच सकती थी, और हजारो परिवारो की खुशियाँ भी बच जाती। अगर वैक्सीनेशन की प्रक्रिया थोङी तेज होती तब भी हजारो मौतो को रोका जा सकता था।
  •   इतनी भारी मात्रा में विदेशो को वैक्सीन निर्यात करने के फलस्वरूप केन्द्र सरकार को यह जरूर मालूम होगा कि देश में वैक्सीन की कमी है सकती है, जिसके लिए देश की अन्य कम्पनियों को लाइसेंस अप्रैल के शुरुआत में ही दे देना चाहिए था। केन्द्र सरकार अब यही काम कर रही है जबकि अब बहुत ही ज्यादा देर हो चुकी है। भारत सरकार वैक्सीन के लिए सिर्फ दो भारतीय कम्पनियों सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बॉयोटेक पर निर्भर थी जिनके जिम्मे देश की 135 करोङ जनसंख्या की वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी थी, जिसके लिए 270 करोङ वैक्सीन को डोजेस की आवश्कता था। वैक्सीन बनाने का लाइसेंस अन्य कम्पनियों को कुछ समय पहले दे दिया गया होता तो आज देश में वैक्सीन की किल्लत ना होती और हजारो लोगो को मरने से बचाया जा सकता था।
  • जब देश टीका उत्सव मना रहा था तब भी केन्द्र सरकार को यह बात पता थी कि देश में वैक्सीन की भारी कमी होने वाली है, उस वक्त यदि देश में विदेशो की वैक्सीन को मंजूरी दे दी जाती और युद्धस्तर पर वैक्सीन खरीदी जाती तो देश में वैक्सीन लगने वाले लोगो की संख्या जो इस वक्त 18 करोङ है वह आराम से कई गुना बढायी जा सकती थी। विदेशी से आयी हुई वैक्सीन को खरीदने का ऑफर जनता के सामने रखा जा सकता था, स्पूतनिक जिसकी एक डोज की कीमत 995 रूपये है, को सक्षम व्यक्ति अस्पताल से खरीद कर लगवा सकते थें व भारत सरकार द्वारा कोविशील्ड व कोवैक्सीन जैसी वैक्सीन को उन लोगो के लिए बचा कर रखना चाहिए था जो कि वैक्सीनेशन का खर्चा नही उठा सकते। गाँव-गाँव जाकर, अभियान चलाकर वैक्सीनेशन कराया जाता और शहरो की सक्षम आबादी के लिए स्पूतनिक, फाइजर या माडर्ना जैसी वैक्सीन को खरीदने का एक ऑप्शन जनता के पास रखा जाता. जो व्यक्ति पैसे देकर वैक्सीन लगवाना चाहता वह पैसे देकर लगवाता व कोविशील्ड और कोवैक्सीन तो सरकार फ्री में सबके लगा ही रही थी। अगर विदेशो से वैक्सीन सही समय पर और अधिक मात्रा में मंगायी गयी होती तो हालात इस वक्त काफी नियंत्रण मे होते.
  • कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों की तरफ से भी काफी लापरवाहियां की गयी, यदि उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया जाता तो बहुत हद तक यह सम्भव था कि कोरोना गाँवो तक ना पहुँचता और इतनी भीषण तबाही न मचाता. चुनावो में ड्यूटी करने वाले हजारो लोगो की मौते हुई व चुनाव बाद पूरे गाँव के गाँव बीमार चल रहे है। अगर पंचायत चुनावो को कुछ समय के लिए टाल दिया जाता और समय रहते लॉकडाउन लगा दिया जाता तो शायद स्थिति इतनी बदतर न होती जितनी कि आज है।
  • कोरोना फैलने का एक बहुत बङा कारण पाँच राज्यो के विधानसभा के चुनाव थे जिसके चलते बहुत बङी संख्या में लोगो को रैलियों में बुलाया गया, बंगाल में चुनाव बाद तो स्थिति यह है कि हर दूसरा जाँच कराने वाला व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव निकल रहा है। पाँच राज्यो में चुनाव होने की वजह से राज्य व केन्द्र सरकार नें राज्यो के चुनावो पर ज्यादा ध्यान लगाया न कि कोरोना से निपटने पर जिसकी वजह से आज स्थिति इतनी बदतर बनी हुई है। राज्यो में चुनाव व पंचायत चुनाव को ध्यान में रखते हुए समय से लॉकडाउन नही लगाया गया व जरूरी कदम नही उठाये गये जिसका परिणाम आज हर एक व्यक्ति भुगत रहा है।
  • दूसरी लहर के इतना तबाही मचाने की एक बङी वजह सरकार का अति-आत्मविश्वास भी था, कि उन्होने और भारतीयो ने कोरोना का हरा दिया है. स्वयं सरकार के मंत्री बिना मास्क के रैलियां करते नजर आये जिसकी वजह से जनता में यह संदेश गया कि कोरोना वायरस पूरी तरह से खत्म हो चुका है। लोगो नें मास्क लगाने छोङ दिये, जिसका खामियाजा जनता को कोरोना महामारी की दूसरी लहर की त्रासदी से भुगतना पङा।
  • 1918-1920 में स्पेनिश फ्लू की तीन लहरे आयी थी जिनमें से दूसरी लहर काफी खतरनाक थी. केन्द्र सरकार को यह लगा कि कोरोना वायरस पूरी तरह से खत्म हो गया है। जिसकी वजह से केन्द्र सरकार ने वैज्ञानिको और डॉक्टरो की दूसरी लहर के बारें में भविष्यवाणियो को झुठला दिया व कोई ठोस कारगर कदम नही उठाये, वैक्सीन के उत्पादन में भी जोर नही दिया गया तथा विदेशो से वैक्सीन भी नही मंगाई गयी व बङी संख्या में वैक्सीन का निर्यात किया गया। अति आत्मविश्वास की वजह से भारत आज कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है।

डॉक्टरो का कहना है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर जितनी तेजी से फैली है उतनी ही तेजी से इसमें कमी भी आयेगी. लेकिन डॉक्टरो ने यह भविष्यवाणी भी की है कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर आनी तय है जो कि सितम्बर के आसपास आ सकती है जो कि सबसे ज्यादा बच्चो को प्रभावित करेगी। इसीलिए जरूरी है कि आप स्वयं को और अपने बच्चो को सुरक्षित करें और जितनी जल्दी हो सके वैक्सीन की दोनो डोज लें।




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