Wednesday, September 23, 2020

Effects of Negative thinking in Hindi- Negative Thinking के दुष्परिणाम व उससे बचाव के उपाय।

हमारा दिमाग एक सिद्धांत पर काम करता है कि जैसा हम सोचते है वैसा ही वह हमें बना देता है। अगर एक व्यक्ति हर वक्त  Negative Thinking ही करता है और अपनें जीवन के हमेंशा बुरे पहलुओ के बारें में ही सोचता है, उस व्यक्ति के ज्यादा से ज्यादा chances है कि वह व्यक्ति जीवन में असफल होगा, और कुछ बङा नही कर पायेगा।

दूसरा व्यक्ति है जो  Positive Thinking ही करता है और अपनें जीवन के अच्छे पहलुओ को सामनें रखता है और उनके बारें में ही सोचता है, उस व्यक्ति के सफल होनें के बहुत ही ज्यादा chances है।

एक रिपोर्ट के अनुसार उन व्यक्तियों का जीवन में सफल होनें का प्रतिशत बहुत ज्यादा होता है जो हमेंशा  Positive Thinking रखते है, वे व्यक्ति बुरी चीजों में से भी अच्छी चीजें निकाल लेते है। उनकी यही खूबी उनको बाकि व्यक्तियों सें कहीं ज्यादा सफल बनाती है।

हमें Negative Negative Thinking क्यो छोड देनी चाहिए इसकों समझनें के लिए आइयें समझते है इंसान के दिमाग को।

इंसान का दिमाग 2 तरह सें विभाजित होता है-

  1. Conscious Mind
  2. Subconscious Mind


हमारें विचार, पसंद-नापसंद, जलन, द्वेष, प्यार, नफरत यह सब हमारें Conscious Mind का हिस्सा है, अर्थात यह सब Conscious Mind सें उत्पन्न होता है। हम जो भी सोचते है या जो भी करते है हमारा Conscious Mind, Subconscious Mind को उसका संदेश देता है और हमारा Subonscious Mind हमको बिलकुल वैसा ही बना देता है जैसा कि हमारा Conscious Mind उसको संदेश भेजता है।


मतलब यह है कि हम क्या सोचते है और कैसे प्रतिक्रिया देते है इसका संदेश subconscious Mind में जाता है और Subconscious Mind हमको वैसा ही बना देता है।

अगर हम अपनें बारें में गलत सोचते है व खुद को बहुत ही कमतर आंकते है तो आपकों आपका Subconscious Mind बिलकुल ऐसा ही बना देगा. अगर आप अपनें आप के बारें में हमेंशा सकारात्मक सोचते है और खुद को बहुत ही सफल व्यक्ति के रूप में देखते है तो आपका Subconscious Mind आपकों वैसा ही बनानें की कोशिश करता है। वह आपको नयें-नयें सुझाव देता रहता है व आपकों बेहतर बनानें की कोशिश में लगा रहता है।

हम आनें वालें सालों में कैसे बनेगे यह इस बात पर ही निर्भर करता है कि हम खुद के बारें में कैसा सोचते है।


अपना भविष्य बदलनें के लिए सबसें पहलें अपनी सोच बदलनी पडेगी. आपका Conscious Mind जो भी सोचता है और जो भी सच समझता है, अवConscious Mind उसको ही आपकी तरफ आकर्षित करता है।

Positive और  Negative Attitude:-


Positive औऱ  Negative Attitude व्यक्ति के ऊपर लगा हुआ एक चश्मा है जिसके आधार पर वह वस्तुओ व अपनें आस-पास होनें वाली घटनाओ को देखता है। अगर कोई पाजिटिव व्यक्ति है तो वह पॉजिटिव चीज ही सोचेगा और अगर कोई Negative व्यक्ति है तो वह Negative चीज ही सोचेगा।


इसें आप एक पानी के आधे भरें हुए ग्लास सें समझ सकते है।  Positive वाला व्यक्ति को ग्लास आधा पानी सें भरा हुआ दिखाई देता है औऱ  Negative Attitude वाले व्यक्ति को पानी का ग्लास आधा खाली दिखाई देता है।


असल में यह व्यक्ति के देखनें का नजरिया है कि वह किसी वस्तु या घटना को कैसे देखता है।


Positive व्यक्ति सोचता है कि वह कर सकता है और Negative व्यक्ति सोचता है कि वह नही कर सकता.


पाजिटिव व्यक्ति समाधान और नयें-नयें विचारो के बारें में बाते करते है तो वही Negative व्यक्ति दूसरो के बारें में बातें करते है.


Positive व्यक्ति समाधान पर फोकस करते है तो वही Negative व्यक्ति समस्याओ पर फोकस करते है।


Positive व्यक्ति दूसरों ने अच्छी बातों को ध्यान में रखते है तो वही Negative व्यक्ति दूसरो की बुरी बातें ध्यान में रखते है।

जब एक बच्चा पैदा होता है तब वह चीजें सीख रहा होता है। तब उसमें Negative थिंकिग नाम की कोई चीज नही होता है।


चलते वक्त वह कई बार गिरता है और उठता है लेकिन वह परेशान होकर चलना नही छोडता। धीरे-धीरें देखते ही देखते वह चलनें लगता है। यदि उसी बच्चे में तब Negative Thinking भर दी जाती कि वह बार-बार गिर रहा है, वह कभी नही चल पायेगा तो शायद वह कभी भी न चल पाता लेकिन बच्चें में यह सोच बिलकुल नही होती।

यही सोच अगर कोई युवा भी विकसित कर लें तो सैकडो बार गिरनें के पश्चात वह हमेंशा उठकर खडा हो जायेगा और लक्ष्य को पूरा कर के ही दम लेगा। 


Negative का विकास हमारें अप्रिय अनुभवों के कारण होता है, ये अप्रिय अनुभव किसी मित्र, टीचर या माता-पिता या किसी भी व्यक्ति के कारण हो सकते है, इन अप्रिय अनुभवो के कारण हमारा Negative होता चला जाता है, और इसके चलते हम सकारात्मक ऊर्जा, एनर्जी और जोश को खो देते है और उदास व अवसाद की स्थिति महसूस करनें लगते है जिसकी सिर्फ एक वजह होती है कि हम उन अप्रिय घटनाओ को भुलानें में नाकामयाब रहे होते है जो हमारें साथ पहली घटी हुई होती है। 

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