मिजोरम की संस्कृति तथा इस राज्य की भौगोलिक स्थिति सामरिक व्यापार के दृष्टिकोण से काफी एहम है। मिजोरम की ‘नगहा लो डावर' संस्कृति जो स्विट्जरलैंड जैसे देशों में देखने को मिलती है।
आइए अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के साथ साथ जानते है एक ऐसे प्रदेश के बारे में जहां प्रत्येक 50 साल बाद ऐसे फूल खिलते है। जो राज्य में भुखमरी व अकाल जन्य जैसी समस्याओं का भी कारण बनते हैं।
मिजोरम का इतिहास:-
मिजोरम का शाब्दिक अर्थ है - मि(व्यक्ति) जो(ढालू या पहाड़ी) रम(भूमि) अर्थात्- "पर्वतीय क्षेत्र के लोग"
- देश के आजाद होने के बाद तक मिजोरम पहले असम राज्य का ही एक जिला था।
- 1891 में ब्रिटिश अधिकार होने के बाद उत्तर का लुसाई हिल असम राज्य के हिस्से में तथा आधा दक्षिण भाग बंगाल के अधीन रहा।
- 1898 में दोनों को मिलाकर लुसाई हिल बना दिया गया तथा यह हिस्सा असम के मुख्य आयुक्त के हिस्से में आ गया था ।
- 21 जनवरी 1972 को यह केन्द्र शासित प्रदेश बना
- 20 फरवरी 1987 को यह भारत का 23 वां राज्य बन गया। किन्तु इस विवरण ने कई घटनाओं को जन्म दिया।
बांस के फूल और चूहे जो मिजोरम में अकाल लाते है:-
सन् 1861 तथा 1911 में भी ये बांस के फूल निकले जिसके 1 वर्ष उपरान्त मिजोरम में अकाल पड़ गया। इस घटना को "माउतम" कहते है।
प्रत्येक 45-50 सालों के बाद मिजोरम में बांस के जंगलो में फूल खिलते है। इन फूलों में बीज होते है। एक साल पश्चात ये फूल गिर जाते हैं।और जमींन पर इसके बीज बिखर जाते हैं।
ये बीज काले चूहों को अत्यधिक प्रिय होते है। इसको खाने के पश्चात इन चूहों की प्रजनन क्षमता काफी बढ़ जाती है। इन चूहों की संख्या में उत्तरोत्तर असंख्य वृद्धि होती है। जंगल में भोजन की समाप्ति होते ही ये काले चूहे कूच करते है, अन्नदाताओं के खेतों और भण्डारग्रहों की तरफ तथा कालांतर में ही ये तीव्र कृंतक खाद्य अनाज को समाप्त कर देते है।
क्योंकि पर्वतीय प्रदेश होने के कारण तथा अधिक वर्षा होने के कारण यहां अनाज भी काफी कम हो पाता है। अत: समस्या काफी जटिल हो जाती है।
असम सरकार की असंवेदनशीलता जिसने जन्म दिया उग्रवाद को:-
- इसी कालक्रम के अनुसार सन् 1958-59 के बीच लुसाई हिल (मिजोरम) में फिर से बांस के फूल निकल आये थे। जिसके 1 वर्ष पश्चात् ही माउतम आ गया। माउतम मिजोरम के जिस क्षेत्र से होकर गुजरा वहां भुखमरी व अकाल ने डेरा पसार दिया।
- स्थानीय लोगों ने तत्कालीन असम सरकार से वहां के लोगो ने अपनी समस्या के अनुसार आर्थिक मदद मांगी और जिसे असम सरकार ने अस्वीकार कर दिया।
- सरकार से सारी उम्मीदें खत्म होते देख स्थानीय लोगों ने असम सरकार के खिलाफ़ सशस्त्र कार्रवाई करने हेतु *मिजो नेशनल फेमाईने फ्रंट (बाद में मिजो नेशनल फ्रंट)* नाम से संगठन बनाया जिसका नेतृत्वकर्ता लालडेन था।
- इधर एक घटना और घटी कि असम सरकार ने सम्पूर्ण असम में असमी भाषा अधिनियम लागू करने का निर्णय लिया ।जिसके विरोध में कई गैर असमी लोग संगठित होकर "मिजो नेशनल फेमाईने फ्रंट" के साथ आ गए।
- अब यह विद्रोह उग्र होकर आतंकवाद का रूप धारण कर चुका था।
- इतना सब होने के पश्चात् भी अभी भारत सरकार का हस्तक्षेप नहीं हुआ था जिसका कारण उस समय चीन व पाकिस्तान जैसे पडो़सी देशों के साथ सीमा विवाद में उलझा हुआ होना था।
ऑपरेशन जेरिचो:-
- हिंसक रूप ले चुका मिजो फेमाईने नेशनल फ्रंट जिसने पूरी योजना के साथ मिजोरम के आइजाल शहर पर हमला कर दिया और असम राइफल्स तथा अन्य मदद न आ सके जिसके लिए इकलौते सिल्चर सड़क व्यवस्था को भी ध्वस्त कर दिया।
- इस आपरेशन का उद्देश्य था,मिजोरम को अपने कब्जे मे लेकर असम से अलग करना तथा 1 March 1966तक एक प्रथक राष्ट्र बनाना। जिसमे यह संगठन सफल रहा था।
- जिसमे गैर मिजोरम के लोगो को मारा गया व वे सभी कार्य हुए जो भारत की अखंडता व सौहार्द के लिए अस्वीकार्य है।
जब भारतीय वायुसेना को अपने ही देश में करना पड़ा रण:-
- भारत सरकार को ऐसी स्थिति का अंदाजा होते ही त्वरित कार्रवाई हेतु वायुसेना को भेजना पडा़।
- इतिहास में पहली व आखिरी बार ऐसा हुआ कि भारतीय वायुसेना के तूफानी व हण्टर नाम के जेट फाइटरों को स्थिति नियंत्रण हेतु अपने ही राज्य पर शक्ति दिखानी पडी़।
- जिसके पश्चात सन् 1967 में भारतीय सेना द्वारा मिजो फ्रंट पर नियंत्रण होते ही भारत सरकार ने Grouping Policy लागू कर दी।जिसकी सहायता से आतंकवादियों का खात्मा किया जा सका।
- सन्1968 तक विद्रोहियों ने आत्मसमर्पण कर दिया।
- 21 January 1972 को मिजोरम केन्द्र शासित प्रदेश बना।
1976 Mizo national front accord:-
- सन् 1976 को मिजो नेशनल फ्रंट के साथ समझौता हुआ जिसमें इस पार्टी ने उग्रवाद के रास्ते का त्याग कर भारत की अखंडता व सौहार्द के साथ विकास करने के लिए सहमति दी।
- 20 february 1987 को मिजोरम को 23वां पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हो गया.
मिजोरम के आधारभूत तथ्य:-
केन्द्र शासित प्रदेश:- 21 January 1972Mizoram political map
image source- Indiainmaps.com- राज्य:- 2 0 February 1987
- राजधानी:- आइजाल
- जिले:- 08
- राज्यपाल:- पी एस श्रीधरन पिल्लई
- मुख्यमंत्री:- जोरमथंगा
- हाईकोर्ट:- गुवाहाटी हाईकोर्ट आइजाल ब्रांच
- मुख्य न्यायाधीश:- अजय लांबा
- MLA:- 40
- Lok Sabha:- 1
- Rajya Sabha:- 1
सीमावर्ती राज्य:-
- असम
- त्रिपुरा
- मणिपुर
राजकीय चिन्ह:-
- राज्य पशु:- Himalayan Serow
- राज्य पक्षी:- Mrs Hume's Pheasant
- राज्य पुष्प:- Red Vanda
- राज्य वृक्ष:- Indian Rose chest nut
भौगोलिक स्थितियां:-
मिजोरम में झूम व स्थानांतरित कृषि पद्धति है।
- दूसरा सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य है।
- राज्य की साक्षरता दर 91.33% है,जो की राष्ट्रीय साक्षरता दर 74.04% से अधिक है।
- सर्वाधिक वन क्षेत्र 86.27% इसी राज्य का है।
- मिजो/लुशाई,म्हार,पोई चकमा,राल्ते,पोवाई तथा कुकी यहां की प्रमुख जनजातियां है।
- मिजोरम एक पर्वतीय प्रदेश है।
सामान्य तथ्य:-
- मिजोरम में कोई रेलवे नहीं है।
- मिजो हिल्स में रहने वाली जनजाति कुकी कहलाती है।
- तुईरियाल पनबिजली बांध से लगभग 60 mw तथा कालादान पनबिजली बांध से 500mw बिजली की आपूर्ति होती है।
- राज्य की सबसे बड़ी नदी छिमतुइपुइ नदी है। जिसे कालादान नदी भी कहते हैं।
मिजोरम के प्रमुख त्योहार:-
मिजोरम में त्यौहारों को कुट कहा जाता है।
- छपचर कुट
- पाल कुट
- मिम कुट
मिजोरम के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान तथा वन्य जीव अभयारण्य:-
- Blue Mountain Park
- Dampa Tiger Reserve
- Lengteng Wildlife Sanctuary
- Murlen National Park
- Thorangtlang Wildlife Sanctuary
मिजोरम का पर्यटन केंद्र:-
- Durtlang Hills
- Palak Lake
- Tamdil Hills
- Hmuijang Hill
पूर्वोत्तर भारत में प्रकृति के ऐसे अनुपम उपहार है। जिनका लिखित में वर्णन करना सदैव असंभव ही होगा। मिजोरम में शिक्षा दर बहुत अच्छी है। किन्तु फिर भी यह एक पिछड़ा राज्य है। जो तेजी से विकास पथ पर अग्रसर है।
No comments:
Post a Comment