Saturday, November 7, 2020

गुजरात राज्य का इतिहास, संस्कृति, वर्तमान तथा प्रमुख तथ्य- यह दूसरा वाला आपने अपने जीवन में कभी नही पढा होगा-

गुजरात राज्य का इतिहास, प्राचीन काल से लेकर, सिन्धु घाटी की सभ्यता के साथ-साथ सैकङो किस्से अपने साथ में समेटे हुए है।

2200-2500 वर्ष की ऐतिहासिकता का प्रमाण देता, पुरातात्विक निष्कर्षों के अनुसार, भगवान कृष्ण का मंदिर द्वारिका, जो गुजरात की विराट संपूर्णता भरे इतिहास से अवगत कराता है। 

Political Map of Gujrat

 

आइए जानते है,ऐसे एक राज्य के इतिहास के बारे में :-

गुजरात राज्य का इतिहास:-

 

गुजरात के इतिहास को हम दो भागो में पढ़ेगे

  1. सिन्धु घाटी की सभ्यता से लेकर चालुक्यो के शासन तथा महाराज शिवाजी के आक्रमण तक
  2. अंग्रेजो के बाद से भारत में विलय होने तक

 

  •  सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख शहर जिनमें लोथल, धोलीवारा और गोला धोराओ जैसे प्राचीन महानगरीय शहर शामिल है, गुजरात राज्य में ही थें, इनके साक्ष्य गुजरात से मिलते है।
  •  भारत का पश्चिमी राज्य गुजरात सिंधु सभ्यता का एक प्रमुख केन्द्र रहा है।

 

  •  गुजरात राज्य के नाम कि उत्पत्ति लगभग 6-12 वीं शताब्दी में गुर्जरत्रा नाम से हुआ। जिसे गुर्जरों द्वारा रक्षित देश कहा जाता था। गुर्जर कुशल क्षत्रिय योद्धा होते थे।
  • मौर्यगुप्तप्रतिहार तथा चालुक्यों ने इस प्रदेश पर शासन किया।
  •  चालुक्य वंश ने इस राज्य पर 960-1243 तक शासन  किया था।
  •  महाराजा शिवाजी ने 1664 में सूरत पर आक्रमण किया जो मुगलों का किला था तथा उस किले का खजाना लूट लिया। 1672 में फिर से आक्रमण कर मुगलों को काफी नुकसान पहुंचाया।।

 आजादी से पहले गुजरात दो भागो में बंटा था। पहला भाग ब्रिटिश क्षेत्र तथा दूसरा भाग देशी रियासतों में, आजादी के बाद 1808 में जूनागढ़ ब्रिटिश प्रोटैक्टरेट राज्य बन गया था। जूनागढ़ में भावनगर, नवागर, गोडल और बड़ौदा की रियासतें थीं तथा कुछ स्थानों पर जूनागढ़ होकर ही पहुंचना सम्भव था। यहां हिन्दू आबादी बहुसंख्यक थी।

जनमत संग्रह द्वारा इस राज्य को भारत में मिला गया। सन 1960 में गुजरात भारत का राज्य बन गया।

 

गुजरात के कुछ आधारभूत तथ्य:-

 

  • राज्य:- 1 May 1960
  •  राजधानी:- अहमदाबाद 
  • जिले:- 33 
  • मुख्यमंत्री:- भूपेन्द्र भाई पटेल
  • राज्यपाल:- आचार्य देवब्रत 
  • हाई कोर्ट:- गुजरात हाईकोर्ट 
  • चीफ जस्टिस:- जस्टिस विनीत कोठारी
  • MLA:- 182 
  • LOK SABHA:- 26 
  • RAJYA SABHA:- 11

 

सीमावर्ती राज्य:-

 गुजरात की सीमाएं भारत के पांच राज्य जिनमें से 2 केन्द्र शासित है। तथा एक अंतरराष्ट्रीय सीमा है, जो पाकिस्तान के सिंध प्रांत से लगती है।

 

1:- उत्तर पूर्व में राजस्थान

2:- दक्षिण में दमन द्वीप

3:- दक्षिण पूर्व में महाराष्ट्र

4:- दक्षिण पूर्व में दादर और नागर हवेली

5:- पूर्व में मध्य प्रदेश

 

राजकीय चिन्ह:-

  • राज्य पशु:- एशियाई शेर 
  • राज्य पक्षी:- ग्रेटर फ्लेमिंगो 
  • राज्य पुष्प:- गेंदा (मैरीगोल्ड) 
  • राज्य वृक्ष:- आम का वृक्ष

 

गुजरात का भूगोल और जलवायु:-

 

  • गुजरात से साबरमती, तापी, नर्मदा, दमनगंगा नदियां गुजरती है।
  •  सबसे लंबी नदी साबरमती है, दूसरे स्थान पर तापी नदी है किन्तु नर्मदा इस राज्य के एक बड़े भाग पर  लंबी दूरी तय करती है।
  •  गुजरात का भौगोलिक क्षेत्र 196024 वर्ग किमी है,जिसमे 7.52% भाग पर वन क्षेत्र है।
  •   गुजरात भारत का पश्चिमी राज्य है, जिसकी समुद्र तट से 1600km की सीमा है।
  •  क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का पांचवा राज्य है तथा जनसंख्या की दृष्टि से नौंवा राज्य है।
  •  मध्य गुजरात के दक्षिण हिस्से में वर्षा दर अच्छा है। तापमान में अंतर कम है, तथा मिट्टी उपजाऊ है।

 

गुजरात के प्रमुख बांध:-

 

  1.  दंतेवाड़ा डैम:- west banas river,यह नदी राजस्थान से गुजरात में बहती है।
  2.  धोली डैम:- Madhumati River
  3.  धोलिधाजा डैम:- Bhogavo River 
  4. कमलेश्वर डैम:- इसे आधिकारिक तौर पर HIRAN-I के नाम से जानते है,यह Hiran River पर स्थित है। 
  5. सरदार सरोवर डैम:- यह नर्मदा नदी पर स्थित है।

सरदार पटेल ने सर्वप्रथम सन 1945 को सरोवर बांध बनाने की पहल की जिसके पश्चात पंडित नेहरू ने सन 1961में इसकी नींव रखी।

17 सितंबर 2017 को पीएम मोदी ने भारत के सबसे बड़े बांध का उद्घाटन किया।

सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 138 मीटर है, इसके 30 गेट हैं। इस बांध के बनने से गुजरात, एमपी, महाराष्ट्र और राजस्थान को फायदा हुआ।

 

गुजरात के General Facts:-

 

  •  Girnar, गुजरात की सबसे ऊंची चोटी है, तथा सापुतारा राज्य का एकमात्र हिल स्टेशन है।
  •  लोथल को विश्व  का सबसे प्राचीन बंदरगाह माना जाता है।
  •  गुजरात में 14 एयरपोर्ट है।
  •  गांधीनगर को एशिया की "ग्रीनेस्ट city" माना जाता है
  •  गुजरात मूंगफली और कपास के उत्पादन में अग्रणी है एवम् तम्बाकू उत्पादन में इसका द्वितीय स्थान है।
  •  1970 में गुजरात की राजधानी गांधीनगर को बनाया गया इससे पहले इसकी राजधानी अहमदाबाद थी।जो कि गुजरात का सबसे बड़ा शहर है।
  •  गुजरात में कुल छोटे बड़े 40 बंदरगाह हैं।

 

गुजरात के प्रमुख त्यौहार तथा मेले:-

 

  1. रण उत्सव 
  2. अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव 
  3. भवनाथ महादेव मेला 
  4. मोधेरा नृत्य त्यौहार

 

गुजरात के प्रमुख लोक नृत्य:-

 

  • भवई 
  • डांडिया 
  • गरबा 
  • पधर 
  • तिप्पनी

 

गुजरात के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान और वन्य जीव अभ्यारण्य:-

 

  • गिर नेशनल पार्क 
  • जम्बुघोड़ा वन्य जीव अभ्यारण्य
  • Jessore Sloth Bear अभ्यारण्य 
  • कच्छ ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अभ्यारण्य
  • नलसरोवर पक्षी अभ्यारण्य 
  •  जंगली गधा अभ्यारण्य

 

UNESCO 🌍 HERITAGE SITE OF GUJRAT:-

 

1-) चंपानेर – पावागढ़ पुरातत्व पार्क, गुजरात – 2004

 

यह गुजरात के पंचमहल जिले में स्थित है।इसका निर्माण सुल्तान महमूद बेगड़ा ने करवाया था।

 

2-) रानी की वाव पाटन गुजरात –2014

 

 

 

 

3-) अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर – 8 जुलाई 2017

 

 GI Tags of Gujarat:-

 

  • गिर केसर 
  • कच्छ साल 
  • सूरत ज़री
  •  क्राफ्ट भलिया
  •  गेहूं
  •  संखेडा फर्नीचर

 

गुजरात, भारत का तीसरा धनाढ्य राज्य है। गुजरात भारत के संपन्न राज्यों कि श्रेणी में आता है।  गुजरात से अनेक ऐसे महापुरुष हुए जिन्होंने भावी भारत की संकल्पना को साकार करने में अभूतपूर्व योगदान दिया है।

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Thursday, November 5, 2020

Central Vista Project क्या है? किस प्रकार यह आम आदमी को प्रभावित करेगा.

1971 की जनगणना के आधार पर देश में सांसदो की संख्या व उनके अनुपात का निर्धारण होता है जो कि 2026 तक इसी रूप में चलेगा। परन्तु उसके पश्चात नयी जनगणना के अनुसार सांसदो की संख्या बढायी जायेगी जो कि 545 से बढकर लगभग 850 के आसपास हो जायेगी।

ऐसी स्थिति में सरकार के लिए पुराना संसद भवन छोटा पङ सकता है इसलिए सरकार एक नया प्रोजेक्ट ला रही है जिसका नाम Central Vista Project है।


Central Vista क्या है?

दिल्ली में इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक का क्षेत्र central vista कहलाता है।




Central vista project क्या है?

Central Vista Project के अंतर्गत सरकार नयी संसद भवन का निर्माण कर रही है क्योकि नयी जनगणना के अनुसार सांसदो की संख्या बढेगी और पुराना संसद भवन उसके लिए छोटा पङ जायेगा। ध्यान रहें, कि पुराने संसद भवन की इमारत लगभग 100 वर्ष पुरानी है जिसके कारण कोई भी बङा खतरा होने का डर हर वक्त बना रहता है।

 इस प्रोजेक्ट में निम्न परिकल्पनाएं शामिल है:-

  1. मौजूदा संसद भवन के निकट में ही नई त्रिकोणीय संसद भवन का निर्माण.
  2. नार्थ ब्लाक व साउथ ब्लाक को संग्रहालय के रूप में पुनर्निमित किया जायेगा.
  3. आम केन्द्रीय सचिवालय का निर्माण.
  4. 3km लम्बे राजपथ का पुनरुद्धार करना (इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन)


 


यह एक भारत सरकार की बड़ी महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसकी लागत लगभग 20,000 करोड़ तक आंकी जा रही है। संसद भवन का निर्माण कार्य समाप्त करने की समय सीमा मार्च 2022 रखी गयी है, सरकार का लक्ष्य यह है कि 2022 में 75वें स्वतंत्रता दिवस का शीतकालीन सत्र नयें संसद भवन में किया जायेंगा।


 

भारत सरकार का central vista पुनरुद्धार का दृष्टिकोण?

भारत सरकार का वर्तमान सेन्ट्रल विस्टा प्रोजक्ट के प्रसार के लिए निम्न प्रकार के तर्क दिये गये है-
  1.  वर्तमान समय में संसद भवन की सुविधाएं व बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है।
  2. केन्द्र सरकार के कार्यालय विभिन्न स्थानों पर फैले हैं। जिससे सरकार को Management में काफी समस्या होती है।
  3. अधिकांश इमारतों ने अपनी संरचनात्मक अवधि को पार कर लिया है

पर्यावरण मंत्रालय की clearance के पश्चात CPWD ने बताया कि 12 Feb को पार्लियामैंट के लिए 922 crore के प्रोजेक्ट की मंजूरी मिल गई है ।

 

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा था कि लोकसभा की क्षमता को दोगुना करना चाहिए जिसमें लगभग 1000 Member of Parliament  हो।

पालिटिकल वैज्ञानिकों के अनुसार-लोकसभा में 2026 तक 848 member होंगे, जिसके लिए हमें नयें हाॅल को लगभग 900 सांसदों की क्षमता के उद्देश्य से बनाना होगा।

Central Vista वर्तमान तथा प्रस्तावित योजना के अनुसार:-

वर्तमान में नई दिल्ली के central vista में इंडिया गेट, संसद भवन, उत्तर व दक्षिण ब्लाॅक, राष्ट्रपति अभिलेखागार व राष्ट्रपति भवन है। संसद भवन को प्रसिद्ध Architect एडवर्ड लुटियन्स व बेकर दोनों द्वारा डिजाइन किया गया था। सचिवालय, जिसमें उत्तर व दक्षिणी ब्लाॅक शामिल है, हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन है।

  •  उत्तरी ब्लाॅक:- उत्तरी ब्लॉक में गृह मंत्रालय व वित्त मंत्रालय है।
  •  दक्षिणी ब्लाॅक:- दक्षिणी ब्लॉक में प्रधानमंत्री कार्यालय, रक्षा मंत्रालय व विदेश मंत्रालय आदि शामिल है।

                       
 योजना के अनुसार निम्न परिवर्तन किये जायेगे-

  •  साउथ ब्लाॅक 1857 तक देश के इतिहास को दर्शाएगा
  •  नार्थ ब्लाॅक 1857 के बाद के देश के इतिहास को बताएगा।

इन दोनों भव्य ऐतिहासिक इमारतों को संग्रहालय में परिवर्तित किया जायेगा, जहां लोग आसानी से पहुंच सकेंगे जो कि एक उच्च सुरक्षा क्षेत्र है।

  • योजना के अनुसार- दक्षिण ब्लाॅक के पास प्रधानमंत्री आवास और कार्यालय तथा उत्तरी ब्लाॅक के पास उपराष्ट्रपति का नया घर बनाने की योजना है। आम केन्द्रीय सचिवालय में 10 नये कार्यालय भवन शामिल होंगे।
  •  गुजरात की HCP नें केंद्र की महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए आर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग प्लानिंग के लिये कंसल्टेंसी बिड जीती है।
  •  नई संसद भवन में 900 से 1200 सांसदों के बैठने की जगह होगी व कम्प्यूटर स्क्रीन जैसी अन्य सुविधाएं भी होंगी। यह भवन सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही ज्यादा सुरक्षित होगा क्योकि 2001 के संसद भवन पर हमलें को देश के दुखद दिनों में से एक गिना जाता है।
  • पुरानी संसद भवन लगभग 100 वर्ष पुरानी है जिसकी वजह से इस भवन को भूकम्प से खतरा बना रहता है, परन्तु नयी बिल्डिंग पूरी तरह से भूकम्परोधी होगी।
  •  त्रिकोणीय संसद भवन, अगस्त 2022 तक बनने की उम्मीद है।
  •  2024 तक आम केंद्रीय सचिवालय के निर्माण की संभावना है।
  •  भारत की संसद भवन का निर्माण एडवर्ड लुटियन्स व हर्बर्ट बेकर द्वारा किया गया है। यह भवन 1921 से बनना शुरू हुआ था और 6 वर्षो में बनकर तैयार हुआ था, उस समय इस भवन को बनाने में 83 लाख की लागत आयी थी। इस भवन के निर्माण का विचार इन्होंने  मध्यप्रदेश के मोरैना जिलें में स्थित चौंसठ योगिनी मंदिर से लिया है, जिसका निर्माण देवपाल नाम के राजा ने करवाया था।

चौसठ योगिनी मन्दिर

 


सरकार तथा विपक्ष का मत:-


जनसंख्या बढने के साथ साथ सांसद भी बढे़गें। कई मंत्रालयों में काम के हेतु जगह की कमी होने से किराए का ऑफिस लेना पड़ता है, जिसमें अनुमानत: कई करोड़ खर्च होते है। अत: central vista पुनरुद्धार जिसमें संसद भवन का पुनर्निर्माण आवश्यक है।

कुछ अन्य व्यक्तियों का मत है कि संसद भवन के निर्माण के लिए बङी मात्रा में पेङ काटे जा रहे है व एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किये जा रहे है। इस प्रक्रिया में पेङो और पर्यावरण को बहुत ही ज्यादा हानि हो रही है।

कोरोना महामारी के पश्चात कुछ व्यक्तियों का कहना कि सरकार को संसद भवन के निर्माण की प्रक्रिया को कुछ समय के लिए स्थगित कर देना चाहिए और देश की अन्य समस्याओ जैसे कि फ्री वैक्सीन, चिकित्सा तथा अन्य जरूरी चीजों पर धन खर्च करना चाहिए।

कुछ अन्य व्यक्तियों का मत है कि आर्थिक मंदी के इस दौर में संसद भवन के निर्माण से मुद्रा का संचार आम नागरिक तक होगा जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है।

आप हमें कमेंट कर के बतायें कि आप इस बारें में क्या सोचते है।

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Thursday, October 29, 2020

Fake News के जंजाल से कैसे बचे?

 ज्ञान की खोज में निकलने पर आप पाते है कि सब कुछ आप अर्जित नही कर सकते, ऐसी स्थिति में जरूरत पङती है एक गुरू की।

गुरू मिलने की स्थिति में आप आश्वस्त हो जाते है कि जो गुरू कह रहा है वही सच है क्योकि आप जो सीख रहे है वो चीज वह व्यक्ति कई वर्षो से सीख रहा है, तब आप ऐसी स्थिति में उस गुरू पर आँख बंद करके भी भरोसा कर सकते है। उसकी विद्वता पर भरोसा कर सकते है, इसके पीछे की वजह यह है कि आप जिस भी क्षेत्र से सम्बंधित जानकारी प्राप्त करना चाहते है गुरू वह जानकारी काफी पहले से और काफी अन्य स्त्रोतो से जानकारी प्राप्त कर चुका होता है।

वर्तमान में क्या हो रहा है. कि आपके पास एक व्हाट्सएप फार्वर्ड आता है, आपको नही पता कि उसको किसने लिखा है और लिखने का मकसद क्या है। लेकिन आप थोङा बहुत भरोसा कर लेते है। धीरे-धीरे ऐसे ही अनेको मैसेज मिलने लगते है और आप उस ही चीज को सच मान लेते है। ऐसे अधिकतर मैसेज ग्रुप्स के माध्यम से वायरल किये जाते है जिसके पश्चात लोग उनसे प्रभावित होकर एक दूसरे की धीरे-धीरे फार्वर्ड करना शुरू कर देते है।

आपको नही पता कि उसको किसने लिखा है कितनी सच्चाई है उसमें परन्तु आप उसपर भरोसा करने लग जाते है।

 

कुछ लोग जो इस तरह के मैसेज से ज्यादा ही प्रभावित होते है वह इनको फेसबुक पर डाल कर और अधिक तेजी से वायरल करते है। एक रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि फेक न्यूज, सामान्य न्यूज से 6 गुना अधिक तेजी से फैलती है। फेक न्यूज कौन फैलाता है और फेक न्यूज कैसे वायरल होती है यह सब मै आप पर छोङ रहा हूँ आप थोङा रिसर्च करिये कि आपके पास  ऐसे मैसेज कहां से आते है और उनको आपके पास कौन भेजता है और भेजने वाले का मकसद क्या होता है?


 

फेक न्यूज की समस्या से बङी-बङी कम्पनियॉ और बङे-बङे देश तक परेशान है जिसकी वजह से फैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट्स अस्तित्व में आयी है व अन्य प्लेटफार्म्स ने भी फेक न्यूज से निपटने के लिए तरह-तरह की फीचर्स लांच किये है।

फेक न्यूज वायरल होने के पीछे के कारण यह होते है कि फेक न्यूज आपकी भावनाओ और आपके दिमाग को बहुत अधिक प्रभावित करती है जिसकी वजह से लोग उसको अधिक से अधिक मात्रा में आगे पहुचाते है जबकि एक सच्ची खबर इतनी ज्यादा सनसनीखेज नही होती। इसीलिए आपने यह भी देखा होगा कि बहुत सी वेबसाइट्स और छोटे मोटे न्यूज चैनल्स फेक न्यूज फैलाने का काम करते है जिससे उनको ज्यादा रीच मिलती है और ज्यादा रिवेन्यू जनरेट होता है।

फेक न्यूज फैलाने के राजनीतिक कारण भी हो सकते है जिसमें एकमात्र उद्देश्य आपको प्रभावित करना होता है और आपको अपने पक्ष में लाना होता है। अन्तिम उद्देश्य आपका वोट ही होता है जिसके लिए विभिन्न प्रकार से आपको प्रभावित किया जाता है।

सोशल मीडिया वोटर्स को किस प्रकार प्रभावित करती है और कैसे उनके दिमाग को अपने से कंट्रोल करती है अगर आप यह समझना चाहते है तो Netflix की डाक्यूमेंट्री The Social Dilemma जरूर देखें।

फेक न्यूज के जंजाल से कैसे बचे?

 

Fake News से निपटने का वैसे तो कोई कारगर तरीका नही है क्योकि वर्तमान समय में सबसे बङी समस्याओ में से एक समस्या सही जानकारी न मिल पाना होता है। आपको भिन्न-भिन्न प्रकार की जानकारी भिन्न-भिन्न स्त्रोतो से प्राप्त होती है जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। 

ऐसे स्थिति में व्यक्ति वही सच मान लेता है जो उसको ज्यादा बार पढने को मिलता है। एक ही झूठ को अगर कई बार आपके सामने सच के जैसे प्रस्तुत किया जाये तो वह कुछ समय पश्चात सच जैसा ही प्रतीत होने लगता है। ऐसी परिस्थितियो से निपटने के लिए हमारी कोशिश रहती है कि हम आपको बिलकुल सटीक जानकारी दे और उसके बाद आप स्वयं किसी निर्णय पर पहुँच सकें, आपके ऊपर किसी भी प्रकार का निर्णय थोपा न जाये और सच ही बताया जाये यही हमारी कोशिश है।

Fake News से बचने के लिए आप निम्न तरीको को अपना सकते है-

  •  Fake News अधिकतर देखा गया है कि WhatsApp के ग्रुपो के माध्यम से फैलायी जाती है, एक ग्रुप में बहुत सारे लोग होते है जिसके बाद उनको अन्य ग्रुप में फार्वर्ड किया जाना बहुत ही ज्यादा आसान होता है। ऐसे में आपका दायित्व यह है कि ऐसी खबरो को फार्वर्ड करने से बचे जो ज्यादा ही सनसनीखेज हो और जिन पर आपको थोङा भी संशय हो। फेक न्यूज की समस्या से बचने के लिए WhatsApp ने फार्वर्ड फीचर में फार्वर्ड अब सिर्फ कुछ व्यक्तियो तक ही सीमित कर दिया है, मतलब कि अब आप चंद लोगो से ज्यादा लोगो को फार्वर्ड नही कर सकते।
  • जब चुनाव नजदीक होते है तब सैकङो झूठे मैसेज को फार्रवर्ड किया जायेगा, इस वक्त आपकी जिम्मेदारी यह बन जाती है कि आप लिखने वाले व्यक्ति को प्रोफाइल को चेक करें, राजनीति से प्रेरित और राजनीतिक पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति अगर ज्यादा ज्ञान किसी ऐसी चीज पर दे रहा है जिसमें उसका व्यक्तिगत लाभ है तो उसको शेयर करने से बचें। व्हाट्सएप की मैसेजेस पर ज्यादा भरोसा ना करें और अगर करें भी तो ज्यादा फार्वर्ड ना करें। 
  • शेयर करने से पहले यह जरूर देखे कि किसने उस लेख को लिखा है, वह वेबसाइट भरोसेमंद है या नही और लेखक कितना भरोसेमंद है।
  • फेक न्यूज के माध्यम से कभी-कभार बहुत बङी घटनाऐ हो जाती है, कई बार देखा गया है कि कुछ लोगो की मृत्यु तक फेक न्यूज के माध्यम से हो जाती है। ऐसे में आपकी जिम्मेदारी है कि न्यूज को फार्वर्ड करने से पहले अपने स्तर पर सत्यता की जांच कर ले।
 वर्तमान समय में फेक न्यूज को बहुत ही ज्यादा फैलाया जा रहा है और उसका विपरीत असर समाज पर देखने को मिलता है ऐसे में यह जरूरी है कि फेक न्यूज के खिलाफ जागरूकता फैलायी जाये और फेक न्यूज को सबके सामने लाया जायें।

 

Wednesday, October 28, 2020

Save Tigers- शेरो को बचाना आखिर जरूरी क्यों है?

 प्रकृति ने खुद को इस प्रकार व्यवस्थित किया हुआ है कि प्रकृति में सारी चीजें एक-दूसरे से जुङी हुई है-

इस पृथ्वी पर लगभग 20 लाख जैव-प्रजातियों का अस्तित्व है, और प्रत्येक जीव का पारिस्थतिकीय तंत्र में महत्व होता है। जब किन्ही कारणोवश किसी एक जगह असंतुलन की स्थिति पैदा होती है तो उसका खामियाजा प्रकृति में मौजूद सभी जीवों को भुगतना पडता है।

 

मानवीय क्रियाकलापो के फलस्वरूप जब प्रकृति में असंतुलन पैदा होने लगता है, तो पृथ्वी पर प्रजातियां विलुप्त होने लगती है।

एक अनुमान के मुताबिक हर वर्ष विश्व में लगभग 10000-20000 प्रजातियां विलुप्त हो रही है। इस प्रकार की ही स्थिति Tigers के साथ में भी थी जिसको बचाने के लिए Save Tigers अभियान चलाया गया था।

Save Tigers मुहिम कब चलायी गयी थी?

Tiger जो कि प्रकृति का एक हिस्सा है, प्रकृति के संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

वर्ष 2006 में भारत में सिर्फ 1411 Tigers ही बचे थे जिसके बाद भारत में Tigers को बचाने की मुहिम चलायी गयी थी। 29 जुलाई 2010 को रूस के एक शहर पीटर्सबर्ग में Tiger Summit का आयोजन किया गया जिसके बाद विश्वभर में Save Tigers अभियान चलाया गया था।

Save Tigers  मुहिम का उद्देश्य 2022 तक Tigers की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया था।

विश्वभर में 29 जुलाई को International Tiger Day मनाया जाता है।

भारत में टाइगर की स्थिति

साल 2006 में भारत में 1411 Tigers ही बचे थे जिसकी वजह से भारत सरकार नें Save Tigers अभियान चलाया था। जिसका उद्देश्य Tigers की संख्या में वृद्धि करना था।

Save Tigers अभियान के बाद भारत में टाइगर्स की संख्या

2018 के एक सर्वक्षण के अनुसार भारत में Tigers की संख्या बढकर 2967 हो गयी है, जो कि भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है।

यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि विश्व में पाये जाने वाले कुल Tigers के 70% Tigers  सिर्फ भारत में ही पाये जाते है।

वर्तमान में Tigers की संख्या 3000 के आसपास है।

Save Tigers अभियान का भारत में प्रभाव

Save Tigers अभियान के बाद भारत में Tigers की संख्या को 1411 से 2967 तक ले जाया जा सका है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2006 में भारत में सिर्फ 1411 Tigers थें जो कि बढकर 2010 में 1706 हो गये थें, भारत सरकार के प्रयासो के फलस्वरूप 2014 में 2225 वर्तमान में करीब 3000 की संख्या तक Tigers  भारत में मौजूद है।

मध्य प्रदेश में इस वक्त सबसे ज्यादा 526 Tigers है,  दूसरे नम्बर पर कर्नाटक है जहां 524 Tigers है, व तीसरे नम्बर पर उत्तराखंड है जहां 442 Tigers की संख्या ज्ञात है।

उङीसा में Tigers की संख्या में कोई बदलाव नही हुआ है, जबकि छत्तीसगढ और मिजोरम में गिरावट दर्ज की गयी है।

Tigers की संख्या का आंकलन करने के लिए मार्क-रिकैप्चर फ्रेमवर्क को शामिल किया गया था। जिसमें लगभग 26760  स्थानो पर कैमरे लगाकर 3 करोङ से ज्यादा तस्वीरें ली गयी थी, जिसमें सें 76523 तस्वीरें सिर्फ Tigers की थी ।

 

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