Wednesday, September 23, 2020

Effects of Negative thinking in Hindi- Negative Thinking के दुष्परिणाम व उससे बचाव के उपाय।

हमारा दिमाग एक सिद्धांत पर काम करता है कि जैसा हम सोचते है वैसा ही वह हमें बना देता है। अगर एक व्यक्ति हर वक्त  Negative Thinking ही करता है और अपनें जीवन के हमेंशा बुरे पहलुओ के बारें में ही सोचता है, उस व्यक्ति के ज्यादा से ज्यादा chances है कि वह व्यक्ति जीवन में असफल होगा, और कुछ बङा नही कर पायेगा।

दूसरा व्यक्ति है जो  Positive Thinking ही करता है और अपनें जीवन के अच्छे पहलुओ को सामनें रखता है और उनके बारें में ही सोचता है, उस व्यक्ति के सफल होनें के बहुत ही ज्यादा chances है।

एक रिपोर्ट के अनुसार उन व्यक्तियों का जीवन में सफल होनें का प्रतिशत बहुत ज्यादा होता है जो हमेंशा  Positive Thinking रखते है, वे व्यक्ति बुरी चीजों में से भी अच्छी चीजें निकाल लेते है। उनकी यही खूबी उनको बाकि व्यक्तियों सें कहीं ज्यादा सफल बनाती है।

हमें Negative Negative Thinking क्यो छोड देनी चाहिए इसकों समझनें के लिए आइयें समझते है इंसान के दिमाग को।

इंसान का दिमाग 2 तरह सें विभाजित होता है-

  1. Conscious Mind
  2. Subconscious Mind


हमारें विचार, पसंद-नापसंद, जलन, द्वेष, प्यार, नफरत यह सब हमारें Conscious Mind का हिस्सा है, अर्थात यह सब Conscious Mind सें उत्पन्न होता है। हम जो भी सोचते है या जो भी करते है हमारा Conscious Mind, Subconscious Mind को उसका संदेश देता है और हमारा Subonscious Mind हमको बिलकुल वैसा ही बना देता है जैसा कि हमारा Conscious Mind उसको संदेश भेजता है।


मतलब यह है कि हम क्या सोचते है और कैसे प्रतिक्रिया देते है इसका संदेश subconscious Mind में जाता है और Subconscious Mind हमको वैसा ही बना देता है।

अगर हम अपनें बारें में गलत सोचते है व खुद को बहुत ही कमतर आंकते है तो आपकों आपका Subconscious Mind बिलकुल ऐसा ही बना देगा. अगर आप अपनें आप के बारें में हमेंशा सकारात्मक सोचते है और खुद को बहुत ही सफल व्यक्ति के रूप में देखते है तो आपका Subconscious Mind आपकों वैसा ही बनानें की कोशिश करता है। वह आपको नयें-नयें सुझाव देता रहता है व आपकों बेहतर बनानें की कोशिश में लगा रहता है।

हम आनें वालें सालों में कैसे बनेगे यह इस बात पर ही निर्भर करता है कि हम खुद के बारें में कैसा सोचते है।


अपना भविष्य बदलनें के लिए सबसें पहलें अपनी सोच बदलनी पडेगी. आपका Conscious Mind जो भी सोचता है और जो भी सच समझता है, अवConscious Mind उसको ही आपकी तरफ आकर्षित करता है।

Positive और  Negative Attitude:-


Positive औऱ  Negative Attitude व्यक्ति के ऊपर लगा हुआ एक चश्मा है जिसके आधार पर वह वस्तुओ व अपनें आस-पास होनें वाली घटनाओ को देखता है। अगर कोई पाजिटिव व्यक्ति है तो वह पॉजिटिव चीज ही सोचेगा और अगर कोई Negative व्यक्ति है तो वह Negative चीज ही सोचेगा।


इसें आप एक पानी के आधे भरें हुए ग्लास सें समझ सकते है।  Positive वाला व्यक्ति को ग्लास आधा पानी सें भरा हुआ दिखाई देता है औऱ  Negative Attitude वाले व्यक्ति को पानी का ग्लास आधा खाली दिखाई देता है।


असल में यह व्यक्ति के देखनें का नजरिया है कि वह किसी वस्तु या घटना को कैसे देखता है।


Positive व्यक्ति सोचता है कि वह कर सकता है और Negative व्यक्ति सोचता है कि वह नही कर सकता.


पाजिटिव व्यक्ति समाधान और नयें-नयें विचारो के बारें में बाते करते है तो वही Negative व्यक्ति दूसरो के बारें में बातें करते है.


Positive व्यक्ति समाधान पर फोकस करते है तो वही Negative व्यक्ति समस्याओ पर फोकस करते है।


Positive व्यक्ति दूसरों ने अच्छी बातों को ध्यान में रखते है तो वही Negative व्यक्ति दूसरो की बुरी बातें ध्यान में रखते है।

जब एक बच्चा पैदा होता है तब वह चीजें सीख रहा होता है। तब उसमें Negative थिंकिग नाम की कोई चीज नही होता है।


चलते वक्त वह कई बार गिरता है और उठता है लेकिन वह परेशान होकर चलना नही छोडता। धीरे-धीरें देखते ही देखते वह चलनें लगता है। यदि उसी बच्चे में तब Negative Thinking भर दी जाती कि वह बार-बार गिर रहा है, वह कभी नही चल पायेगा तो शायद वह कभी भी न चल पाता लेकिन बच्चें में यह सोच बिलकुल नही होती।

यही सोच अगर कोई युवा भी विकसित कर लें तो सैकडो बार गिरनें के पश्चात वह हमेंशा उठकर खडा हो जायेगा और लक्ष्य को पूरा कर के ही दम लेगा। 


Negative का विकास हमारें अप्रिय अनुभवों के कारण होता है, ये अप्रिय अनुभव किसी मित्र, टीचर या माता-पिता या किसी भी व्यक्ति के कारण हो सकते है, इन अप्रिय अनुभवो के कारण हमारा Negative होता चला जाता है, और इसके चलते हम सकारात्मक ऊर्जा, एनर्जी और जोश को खो देते है और उदास व अवसाद की स्थिति महसूस करनें लगते है जिसकी सिर्फ एक वजह होती है कि हम उन अप्रिय घटनाओ को भुलानें में नाकामयाब रहे होते है जो हमारें साथ पहली घटी हुई होती है। 

Monday, September 21, 2020

The Five Laws of Power in Hindi- ये नियम आपके शक्तिशाली बनने की गारन्टी है।

मनुष्य की प्रवृत्ति होती है कि वह एक–दूसरे से आगे निकलना चाहता है, अपने सामने वाले से ज्यादा बेहतर करना चाहता है। तो कुछ लोगो में यह प्रवृत्ति भी होती है कि वें कमजोर वर्ग पर शासन करना चाहते है।

 

मानव सभ्यता के विकास के साथ ही मनुष्य़ में शासन करनें की प्रवृत्ति का जन्म हुआ. जो सक्षम थे, मजबूत थें. उन्होने बाकियों पर शासन किया।

समय के साथ यह सवाल उठता है कि ऐसी कौन सी चीजें थी जो उन्हे मजबूत बनाती थी और बाकियों को कमजोर, या किन सिद्धांतो के बल पर उन्होने बाकियों पर शासन किया।

 

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तो आइये समझने का प्रयास करतें है कि किन नियमों के बल पर ताकतवर व्यक्ति, ताकत को हासिल करता है। यहां हम ऐसे पांच नियमों के बारें में जाननें जा रहे है-

1.       अपने बॉस सें कम काबिल दिखाना:-

 

ऐसे लोग जो दूसरों से ज्यादा ताकतवर बननें का हुनर रखते है वे इस बात पर विशेष ध्यान देते है कि कहीं उनके मास्टर के सामनें उनकी चमक ज्यादा तो नही हो रही।

ऐसा करनें का मुख्य कारण यह है कि ऐसे में मास्टर बुरा मान सकता है और आपसें ज्यादा ताकतवर होने के नाते वह आपको हानि पहुंचा सकता है या आपका कैरियर बिलकुल खत्म कर सकता है।

असुरक्षा का भाव पैदा होने पर वह मास्टर आपको खतरें के रूप में लेने लगेगा और आपको एक प्रतिद्वंदी के रूप में देखेगा।

फ्रांस के राजा लुईस 14, जो कि एक घमंडी व्यक्ति था और हर वक्त स्वयं को ही आकर्षण के केन्द्र में पाना चाहता था। लुईस 14 जब राजा बना तब उसका एक वित्तमंत्री था जो कि उनके पिता के राज-काज में सारा काम देखता रहता था।

नये राजा कि नियुक्ति के उपलक्ष्य में वित्तमंत्री नें सभी विभाग के अध्यक्षो और शक्तिशाली लोगो को बुलाया और राजा को आमंत्रित किया।

वह स्वागत पार्टी, जो नये राजा के राज्य संभालनें के उपलक्ष्य में की गयी थी, इतनी शानदार थी कि लोग तारीफ करतें नही थक रहे थें। वहां मौजूद लोगो नें व वहां के मौजूदा राजा लुईस 14 नें कभी भी इतनी बेहतरीन पार्टी नही देखी थी।

रात में जैसी ही पार्टी खत्म हुई, राजा नें अपने वित्तमंत्री को बंदी बनाने का आदेश दे दिया और उसे जेल में डाल दिया और एक नया वित्तमंत्री नियुक्त किया।

पुराने वित्तमंत्री पर राज्य की संपदा को मनमाने ढंग से खर्च करनें और फिजूलखर्ची का आरोप लगा कर जेल के अन्दर डाल दिया गया।

बाद में यह बात सामनें आयी कि राजा वित्तमंत्री की शानदार पार्टी देखकर हैरान था, वहां मौजूद सारे लोग राजा से ज्यादा वित्तमंत्री को अहमियत दे रहे थे जिसकी वजह सें राजा बहुत नाखुश हुआ और उसे असुरक्षा का भाव महसूस हुआ, वह अपनें वित्तमंत्री को प्रतिद्वदी के रूप में देखने लगा तथा उसको जेल मे डलवा दिया।

 

2.     अपने इरादे छिपाकर रखना:-

 

समाज में ताकतवर लोग इस नियम का पालन बहुत ही ज्यादा करते है, वे अपने इरादो को कभी जाहिर नही होने देते और हमेंशा छुपाकर रखते है। इसका सबसे बङा उदाहरण वर्तमान राजनीतिक परिपेक्ष्य है। कब कौन नेता, किस तरफ करवट ले ले, इसके पीछे के इरादो को वे हमेशा छिपाकर रखते है।

ताकतवर लोग अपनें विचारो को छिपाने के साथ-साथ कम बोलने पर भी यकीन करते है, वे तभी बोलते है जब बोलना जरूरी होता है। कम बोलने का वजह से उनकी बात की अहमियत होती है और लोग उनके विचारो को ज्यादा जान नही पाते।

विचारो को न जानने के कारण वह उन व्यक्तियों के खिलाफ कोई भी षडयंत्र नही रच पाते या किसी भी प्रकार का डिफेंस नही तैयार कर पातें है।

  • ·        भारतीय NSA अजीत डोभाल जी पाकिस्तान में बहुत साल रहकर आये और उनसे पूरी तरह से घुल-मिल गये लेकिन कभी उन्होने पाकिस्तानियो को इस बात का शक नही होने दिया कि उनके इरादे क्या है. ऐसा ही बहुत सारे ताकतवर लोग करते है।
  • ·        थॉमस अल्वा एडीसन ने टेस्ला को एक जनरेटर बनाने के लिए कहा था और साथ ही कहा था कि उसको बनाने के साथ-ही टेस्ला को बङी मात्रा में पैसे दिये जायेगे। टेस्ला ने जनरेटर बना दिया जिसे एडीसन ने स्वयं की खोज के रूप मे दर्शाया और टेस्ला को बहुत ही कीमत दी।

3.     आत्मविश्वास के साथ सारे काम करना:-

समाज के ताकतवर लोग हर एक काम को पूरी लगन व आत्मविश्वास के साथ करते है जिनकी वजह से लगभग उनका सफल होने का प्रतिशत बाकी व्यक्तियो से कहीं ज्यादा होता है।

समाज के ताकतवर लोग कोई कार्य तभी शुरू करते है जब वे उससे सम्बन्धित सारी जानकारी इकठ्ठी कर लेते है जिसके पश्चात वे सारी रूपरेखा तैयार करते है और काम को अंजाम देते है। पूरी रूपरेखा होने के कारण उनका आत्मविश्वास हमेशा बहुत ही ज्यादा होता है।

एक बार फ्रांस सरकार की तरफ से व्यापारियों को एफिल टॉवर को बेचने के लिए बोली लगाने के लिए आमंत्रित किया गया, वजह यह दी गयी कि एफिल टॉवर के रख-रखाव में बहुत ही ज्यादा खर्च आ रहा है जो कि फ्रांस की सरकार झेलना नही चाहिए। जिसके लिए वह एफिल टॉवर को प्राइवेट कंपनी को बेचना चाहती है।

सबसे ज्यादा बोली लगाने के साथ ही, एफिल टॉवर प्राइवेट कंपनी को बेच दिया गया।

कुछ ही दिनो बाद यह सार्वजनिक हुआ कि फ्रांस सरकार ने कभी भी एफिल टॉवर को नही बेचा था, और एफिल टॉवर को बेचने वाले लोग ठग थें जिन्होने प्राइवेट कंपनी के साथ ठगी की थी।

अब एफिल टॉवर को बेचने जैसा असंभव काम संभव कैसे हो सका. इसकी वजह थी ठगो का आत्मविश्वास. उन्होने लोगो को इस हद तक यकीन दिला दिया कि वे सरकारी कर्मचारी है और सरकार की तरफ से ही आये है कि किसी को शक भी न हुआ।

4.     खुद को दोबारा तैयार करना:-

 

शक्तिशाली वर्ग, अन्य लोगो की तुलना में खुद को तैयार करने में बहुत ही ज्यादा माहिर होता है। ऐसे में उनको यह पता होता है कि वह कहॉ पर गलती कर रहे है और उन्हे कहॉ पर सुधार की जरूरत है।

इसके लिए भले ही वह समय ले, लेकिन वह स्वयं को दोबारा तैयार करते है और पुन: प्रयास करते है, और अक्सर सफल भी होते है।

इसे ही कभी हार न मानने वाला जज्बा, या Never Give Up Attitude कहते है।

·        मुहम्मद गोरी ने जब भारत पर, पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ पहली बार आक्रमण किया तो उसे बहुत ही बुरी हार झेलनी पङी और उसे मैदान छोङना पङा। 1191 में तराइन के प्रथम युद्ध में हारने के बाद वह वापस गया और एक साल तक स्वयं को जीत के लिए तैयार किया। 1192 में जब उसने दूसरी बार आक्रमण किया तो पृथ्वीराज चौहान को हरा कर दिल्ली की राजगद्दी पर स्वयं बैठ गया। उसके जीतने की दो प्रमुख वजहे Never Give Up Attitude और खुद को दोबारा तैयार करने का जज्बा था।

 

 

5.     आत्मसमर्पण करना और कमजोरी को ताकत में बदलना:-

 

ताकतवर लोगो की एक निशानी यह होती है कि वह कभी-भी अपने से ताकतवर व्यक्ति के खिलाफ नही जाते, और खिलाफ जाने की स्थिति में स्वयं को कमजोर पाकर आत्मसमर्पण कर देना ही उचित समझते है।

आत्मसमर्पण करने के बाद वह बाकी सारा समय स्वयं को मजबूत बनाने में व्यतीत करते है और अपने प्रतियोगी के बराबर या उससे ज्यादा ताकतवर होने की स्थिति में ही, प्रतियोगी के खिलाफ जाते है।

ताकतवर लोग जानते है कि कमजोर होने की स्थिति में अगर अपने से ताकतवर प्रतियोगी के खिलाफ लङा जायेगा तो वह बहुत ही आसानी से हरा देगा। इसलिए यहीं बेहतर है कि खुद को मजबूत बनानें में समय व्यतीत किया जायें और कमजोरी को ताकत मे बदलने के पश्चात ही प्रतियोगी के खिलाफ खुलकर आने में ही भलाई है।

·        ऊपर दिये गये मुहम्मद गोरी के उदाहरण में आप देख सकते है कि कमजोर होने की स्थिति में गोरी ने मैदान छोङना उचित समझा और अपनी कमजोरी को ताकत में बदलकर दोबारा आक्रमण किया और विजयी हुआ। अगर वह वापस नही हटता तो मारा जाता और फिर कभी दिल्ली की गद्दी पर नही बैठ पाता।

·        छत्रपति शिवाजी के महल को जब मुगल सेना ने चारो तरफ से घेर लिया था तो उन्होने भी पुरन्दर की संधि करके अपने कुछ किलों को मुगलो को सौंप दिया था। बाद में कुछ किलें वापस भी ले लिये गये थें. शिवाजी महाराज नें भी उस समय को खुद की कमजोरी को ताकत में बदलने के लिए प्रयास किया।

 

सफल और ताकतवर व्यक्तियो में थोङा से अन्तर होने के कारण यहां पर ताकतवर शब्द का उपयोग जानबूझकर किया गया है क्योकि कुछ नियम या उदाहरण आपको अनैतिक लग सकते है।

सफल व्यक्ति को अक्सर बहुत ही सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाता है जबकि ताकतवर व्यक्ति अनैतिक भी हो सकता है।

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Sunday, September 20, 2020

Win-Win policy in Hindi- यह पॉलिसी आपकी सफलता की गारन्टी है।

 इंसान के जीवन में कई ऐसे पहलू होते है जहां उसको एहसास होता है कि अगर यह बात उसें पहलें पता होती तो जीवन में आज वह किसी और मुकाम पर होतें। और अक्सर होता भी यही है कि हमें वे चीजें समय सें पता नही होती है जो हमें पता होनी चाहिए।


 


चाणक्य नें कहा था कि अगर हम अपनी गलतियों से सीखते है तो सीखनें के लिए यह जीवन बहुत छोटा है इसलिए हमें दूसरों की गलतियों सें और दूसरों के जीवन सें सीखना है।

आइयें आज समझते है Win-win policy कों, Win-win policy निश्चित रूप सें आपके जीवन में ढेर सारे बदलाव लायेगी व आपको तरक्की के शिखर तक पहुंचायेगी।

Win-win policy


Win-win policy का अर्थ है कि दोनो स्थिति में जीत ही जीत है। हम सबके अंदर द्वेष भावना या जलन भावना कुछ न कुछ होती ही है जो हम सबको आगे बढनें से रोकती है। इसी के संदर्भ में Win-win policy पॉलिसी है
जो हमें यह सिखाती है कि दोनो स्थिति में जीत कैसें है।


मान लेते है कि दो प्रतिद्वंदी विराट और रोहित है जो किसी बिजनेंस में अपना हाथ आजमाते है। विराट किसी होटेल का मालिक है व वह उसमें व्यवसाय करता है और रोहित का ट्रांसपोर्ट का बिजनेंस है और रोहित शहर भर या शहर के बाहर टूरिस्ट को टैक्सी और अन्य सुविधाऐ प्रदान करता है।


यहां पर दो Cases सम्भव है:-


1- विराट और रोहित एक दूसरें की सफलता सें जलकर एक-दूसरें को नीचा गिरानें का प्रयत्न करते है और स्वयं को आगे बढता देखनें के लिए एक-दूसरें को गिरानें की कोशिश करते है।


2- दूसरें केस में विराट और रोहित एक दूसरें की मदद करते है और एक दूसरें के बिजनेंस को बढाने में मदद करते है। विराट, टूरिस्ट व कस्टमर्स को रोहित के पास भेजता है और रोहित अपनें कस्टमर्स को विराट के पास भेजता है।

केस 1- 

विराट और रोहित एक दूसरें को खुद सें आगे निकलते देखना नही चाहते इसकें लिए वे एक-दूसरे को नीचा गिराने की कोशिश में लगे रहते है और जिस समय उनको स्वयं को ऊपर ले जानें के बारें में सोचना चाहिए था उस वक्त वें एक-दूसरें को नीचा गिरानें के चक्कर में दोनो का नुकसान करतें है।


धीरे-धीरें यह स्थिति आती है कि विराट और रोहित दोनो का बिजनेंस नॉन-प्राफिटेबल रहता है और कुछ समय पश्चात दोनो नुकसान को स्थिति में आ जाते है और अंत में ऐसी स्थिति आती है कि उनको भारी नुकसान के कारण अपना व्यवसाय बंद करना पड जाता है।

केस 2- 

विराट और रोहित एक-दूसरें की मदद करते है और एक-दूसरें सें आईडिया शेयर करते है व बताते है कि कैसें एक-दूसरें की मदद कर वें और नयी ऊंचाईयों को छू सकते है। यहां पर राम और श्याम Win-win policy के अंतर्गत काम कर रहै होते है.

विराट के होटेल में जब कोई टूरिस्ट आता है और ट्रवेल करना चाहता है तो राम उसें रोहित के बारें में बताता है और तारीफ करता है कि उसकें जैसी सुविधाऐ मिलना और कहीं मुश्किल है।


ठीक इसी प्रकार रोहित भी करता है, जब कोई टूरिस्ट रोहित सें किसी अच्छे होटेल के बारे में पूछता है तो रोहित उसें विराट के बारें में सुझाव देता है।

यहां पर विराट और रोहित दोनों Win-win policy के अंतर्गत काम कर रहै होते है और देखते ही देखते विराट अपनें कई और होटेल्स खोल लेता है व रोहित अपना ट्रांसपोर्ट का बिजनेंस बडा कर के कई और शहरो में भी फैला देता है।
यह सब सम्भव हो पाता है दोनो की आपसी सहयोग और सहमति सें व Win-win policy कें माध्यम सें।

जीवन में सफल में होनें वालें लोग Win-win policy पॉलिसी का ही प्रयोग करते है और नयी ऊँचाईयों पर पहुंचते है व एक-दूसरें सें द्वेष भाव रखनें वाले लोग एक-दूसरे को गिराने के चक्कर में स्वयं को बर्बाद कर लेते है।


जब आप किसी को नीचा करनें में मेहनत करते है तो आप खुद को एक ऊँचाई पर रोक कर सामनें वालें को गिरानें की कोशिश करते है जिसमें आप अपना विकास रोक लेते है  व जो ऊर्जा आपको स्वयं को उठानें में लगानी थी वह आप किसी को गिरानें में व्यर्थ कर देते है।
 
जीवन में सफल होने के लिए Win-win policy को नियमित जीवन में उतारना बहुत ही जरूरी है। याद रखें कि स्वयं को ऊँचाइयों तक पहुंचानें के लिए जरूरी नही कि सामनें वाले को नीचें गिराया जायें, दोनो साथ साथ भी ऊँचाईयों का आनन्द ले सकतें है।


 

अगर आप Win-win policy को वीडियो के जरिये समझना चाहते है और ऐसे ही अन्य वीडियोज देखना चाहते है तो हमारे यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है।

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Saturday, September 19, 2020

How to stop procrastination in Hindi- यह जानने के बाद आप कभी-भी कोई काम आधा नही छोङेगे।

 अक्सर यह देखा गया है कि हम अपना काम शुरू तो कर देते है परन्तु इच्छाशक्ति की कमी या किसी अन्य कारणो की वजह से हम अपने काम को अंजाम तक पहुंचाने में असफल रहते है जिसकी वजह से हमारा काम टालमटोल का हिस्सा बन जाता है।


धीरे-धीरे यही टालमटोल और काम न हो पाने की चिंता हमारे जीवन के अन्य क्रियाकलापों को भी प्रभावित करनें लगती है।


टालमटोल की स्थिति बाद में व्यक्ति के लिए हजारो चिंता पैदा कर देती है जो कि धीरे-धीरे अवसाद का रूप लेने लगता है और हमारी कार्यक्षमता को लगभग खत्म कर देता है।


आइये समझते है कि किसी काम को कैसे पूरा करें जिससें की वह टालमटोल का हिस्सा न बनें व हमें जल्द ही परिणाम दे।

Task को पूरी तरह सें समझिए:-


किसी लक्ष्य की प्राप्ति की शुरूआत करनें सें पहले यह जरूरी है कि हमें उस के बारें में हर एक चीज पता होनी चाहिए, उसकें करनें से हमारें जीवन में क्या बदलाव आयेगे व उसको करनें सें कोई फायदा है या नही।
किसी विद्वान ने कहा है कि गलत दिशा में चला गया हर एक कदम हमें लक्ष्य सें दूर ले जाता है।


हमें खुद सें यह सवाल पूछते रहना है कि इस काम को करनें सें मेरे जीवन में क्या बदलाव आयेगे? अगर आपके जवाब सकारात्मक आ रहे है तो वह आपकों ऊर्जा प्रदान करेगे व आपको प्रोत्साहित करेगे।

 

अपने लक्ष्यो को लिखकर रखें:-


आपने जो भी लक्ष्य बनाया है उसको किसी कागज पर लिखकर हमेंशा अपनें पास रखें या किसी ऐसी जगह पर रखें जो कि आपको हमेंशा आपकें लक्ष्य को याद दिलाता रहें। ध्यान रहें कि आपका लक्ष्य जब subconscious mind तक पहुंच जायेगा तो subconscious mind आपको उसें करनें के नये-नयें सुझाव देगा।


अपने पास लिखित रूप सें लक्ष्य को रखनें सें एक फायदा यह भी है कि आप जब भी उस लक्ष्य को देखते है तो आपकें अंदर सें एक आवाज आपको प्रेरित करती है उस लक्ष्य को प्राप्त करनें के लिए।

मुख्य लक्ष्य चुनें:


आपने अपनें जितनें भी लक्ष्य लिखे है उनमें सें एक ऐसा लक्ष्य चुनें जो कि आपकें बाकी के सारें लक्ष्यो सें महत्वपूर्ण हो, जिसको पानें के पश्चात आपके जीवन में सबसें ज्यादा सुधार हो।


ऐसा लक्ष्य चुननें के बाद उस पर आपको काम करना है व आपको लक्ष्य की प्राप्ति के लिए Deadline भी निर्धारित करनी है।

आनें वाले प्रत्येंक दिन, सप्ताह और महीनें को प्लान करें:-


जब आप लक्ष्य निर्धारित कर लें तो उसकें बाद सबसें जरूरी काम है कि आप प्रत्येक दिन का Target लेकर चलें और दिन खत्म होने तक इस बात का अवलोकन करें कि क्या आपकें द्वारा लिया गया Target पूरा हो गया है।


सोनें से पहलें अगलें दिन का पूरा schedule निर्धारित कर लें व तब तक चैन सें न बैठे तब तक आप उस दिन के Target तक पहुंच न जायें।


इसी प्रकार सप्ताह भर का Target बनाइयें व फिर महीने भर का.

दिन की शुरूआत कठिन काम सें करें:-


लेखक ब्रायन ट्रेसी कहते है कि अगर उन्हे दिन भर में किसी भी वक्त मेढक खाना हो तो वह सुबह उठकर मेढक खाना पसंद करेंगे, क्योकि मेढक खाना एक ऐसा काम है जो कि कोई व्यक्ति नही करना चाहता।
सुबह मेढक खाकर पूरें दिन निश्चित होकर कुछ भी किया जा सकता है।


लेखक के अनुसार मेढक खाना यहां पर आपके द्वारा चुना गया दिन भर का सबसें कठिन काम है। सुबह उठकर सबसें पहलें उस काम को खत्म कर दीजिए जिससें कि काम होनें को बाद सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी व आगें बढने का प्रोत्साहन भी मिलेगा।
 

Positive Attitude विकसित करें:-


जब हम कोई काम खत्म करते है तो हमें काफी अच्छा महसूस होता है, उस वक्त हमारा दिमाग एंडोफिन नामक एंजाइम स्त्रावित करता है जिसकी वजह सें हमें काफी अच्छा लगता है व शरीर में जोश व ऊर्जा बनी रहती है।


अगर आप दिन में सबसें पहलें सबसें कठिन काम को खत्म करनें की आदत डाल लेतें है तो आप एंडोफिन एंजाइम की मदद सें हर वक्त अच्छा महसूस करेगें और यह आपकों प्रेरित करेगा आपके लक्ष्य कें प्रति।


धीरें-धीरें जैसें ही आप काम को खत्म करनें की आदत डाल लेते है आप खुश रहना शुरू कर देगे व आपके अंदर  Positive Attitude विकसित हो जायेगा.

Step by Step चलें:-


अगर आपको 100 किमी की दूरी तय करनी है तो पहला काम है कि पहलें एक कदम बढायें. ठीक इसी प्रकार अगर आपकों अपनें लक्ष्य की प्राप्ति करनी है तो सबसें पहलें एक कदम बढायें जो आपको आपकें लक्ष्य के एक कदम नजदीक लें जाता है।

Win-Win policy follow कीजिए-

Win-win policy का अर्थ है कि दोनो स्थिति में जीत ही जीत है। हम सबके अंदर द्वेष भावना या जलन भावना कुछ न कुछ होती ही है जो हम सबको आगे बढनें से रोकती है। इसी के संदर्भ में Win-win policy पॉलिसी है
जो हमें यह सिखाती है कि दोनो स्थिति में जीत कैसें है।
 
Win-win policy को यदि आप अच्छे से समझना चाहते है तो नीचे दिये गये वीडियो को देखे-
 

 


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Friday, September 18, 2020

Biography of Nikola Tesla- टेस्ला के इन आविष्कारो ने एडीसन और अन्य बहुत से लोगो की नींद उङा दी थी।

 

निकोला टेस्ला उन महानतम वैज्ञानिको में से एक है जो अपनी खोजो और आविष्कारो के बल पर दुनिया बदलनें की क्षमता रखते थे, परन्तु समय और जीवन के हालातो के कारण उनको उतनी प्रसिद्धि नही मिली जिनके के वे हकदार थें।

वैसे तो इन दुनिया में अरबो लोग आते जाते है लेकिन कुछ निकोला टेस्ला जैसे व्यक्ति होते है जो अपने द्वारा किये गये कार्यो की मदद से दुनिया को बदल जाते है। 

तो आइये आज हम पढते है विश्व के महानतम वैज्ञानिको में से एक निकोला टेस्ला के जीवन के बारे में जिनसे प्रेरित होकर एलोन मस्क ने अपनी कम्पनी का नाम भी टेस्ला रखा है:-

निकोला टेस्ला का प्रारम्भिक जीवन:-

निकोला टेस्ला का जन्म 10 जुलाई,1856 को वर्तमान क्रोएशिया में हुआ था, इनके पिता का नाम मिलुटिन टेस्ला व माता का नाम डूका टेस्ला था।

निकोला टेस्ला बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थें, वे गणित के काफी बङे-बङे सवालो को बिना कॉपी पेन की मदद से कर दिया करतें थें जिससे कभी-कभार उनके शिक्षको को यह शक होता था कि निकोला टेस्ला या तो उत्तर याद करते है या किसी प्रकार की बेईमानी करते है।

निकोला टेस्ला की महानता के पीछे उनकी माँ का ही हाथ था, बचपन में वह अपनी माँ को बहुत सी ऐसी चीजे बनाते हुए देखते थे जो कि उनके दैनिक जीवन में काम आती थी व जीवन को आसान बनाती थी।

उनसे ही प्रेऱणा लेकर टेस्ला भी आविष्कार करने के प्रति जागरूक हुए।

1870 में, उन्होने कार्लोवाक में हायर रियल जिमनैजियम में दाखिला लिया और अपनी असाधारण बुद्धिमत्ता की मदद से 1873 में तीन साल के भीतर चार साल का कोर्स पूरा कर लिया।



1875 में उन्होने पॉलीटेक्निक किया, यह ऐसा वक्त था जब नौजवानो के पास सिर्फ दो रास्ते होते थें, पहला पादरी बन जाने का और दूसरा सेना में भर्ती हो जाने का।

टेस्ला के पिताजी ने उन्हे पादरी बन जाने की सलाह दी थी परन्तु टेस्ला आगे की पढाई करना चाहते थें।

निकोला टेस्ला का कैरियर:-

निकोला टेस्ला प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी और मैकिनिकल इंजीनियर थें, परन्तु अपने कैरियर की शुरूआत में उन्होने टेलीफोन कम्पनी में काम किया और वहॉ टेलीफोन एम्प्लीफॉयर में बहुत ही बेहतरीन सुधार किया।

निकोला टेस्ला अभूतपूर्व प्रतिभा के धनी थें, ऐसा कहा जाता है कि किसी भी चीज का पूरा डिजाइन वह अपने दिमाग में बना लेते थें और वह दिमाग में बनाये गये डिजाइन से ही काम किया करते थें।

उन्होने बहुत सारे आविष्कार किये, 1882 में निकोला टेस्ला फ्रांस में एडीसन की कम्पनी में कार्यरत थें। दो साल बाद वह न्यूयार्क चले गये जहां पर उन्हे एडीसन नें डीसी जनरेटर के सुधार का ऑफर दिया और सही करने पर 50,000 डॉलर के इनाम के बात की।

टेस्ला नें जनरेटर की कमियो की दूर करके और उस जनरेटर की क्षमता को कई गुना बढाने के बाद जब एडीसन से मिलने पहुचे तो एडीसन नें उन्हे इनाम के राशि देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि उन्होने मजाक किया था।

जिसके बाद टेस्ला नें एडीसन की कंपनी को छोङ खुद की कम्पनी स्थापित की।

टेस्ला और एडीसन के बीच AC और DC की लङाई:-

थॉमस अल्वा एडीसन जो कि वैज्ञानिक होने के साथ-साथ एक व्यापारी भी थें, DC पर कार्य कर रहे थें। पहली बार बल्ब के आविष्कार करने के बाद एडीसन ने घर-घर तक बल्ब पहुंचाने का निश्चय किया तो सबसे बङी समस्या घर-घर तक बिजली पहुंचाने की आयी।



जिसके लिए एडीसन नें पॉवर हाउस का निर्माण भी करवाया। लेकिन वह पॉवर हाउस सिर्फ आधा मील तक के क्षेत्र में ही बिजली की सप्लाई कर सकता था और DC की लागत भी बहुत ही ज्यादा थी।

जब एडीसन घर-घर बिजली पहुंचाने के लिए कार्य कर रहे थे तो उसी समय टेस्ला इस बात पर काम कर रहे थे कि किस प्रकार बिजली की गुणवत्ता में सुधार किया जाये और इसको लोगो तक बङी ही आसानी से पहुंचाया जायें।

इसके लिए टेस्ला नें AC  पर काम करना शुरू किया और जब यह बात एडीसन को बतायी तो एडीसन बहुत नाराज हुए जिसके बाद निकोला टेस्ला स्वयं ही इस पर काम करने लगे।

बिजली उस वक्त व्यापार का एक माध्यम हुआ करती थी, जिसके कारण टेस्ला को निवेशक बहुत ही जल्दी मिल गये और उन्होने लोगो को AC के फायदे में बताना शुरू किया।

एडीसन ने टेस्ला और AC के खिलाफ लोगो को भङकाना शुरू कर दिया जिसके लिए उन्होने अखबारों में खबरे निकलवाना शुरू किया लेकिन लोगो नें AC के फायदो को देखते हुए एडीसन को ज्यादा अहमियत नही दी जिसके बाद एडीसन ने AC कितना खतरनाक है यह प्रचार करना शुरू किया।

एडीसन ने अमेरिका की सरकार को सुझाव दिया कि मृत्युदंड के रूप में AC का प्रयोग किया जायें, जब AC का प्रयोग किया गया तो लोग दंग रह गये क्योकि AC से हुई मौत बहुत ही भयावह थी।

नियाग्रा फॉल्स पर AC जनरेटर लगा कर टेस्ला ने बिजली पैदा करना शुरू कर दिया। AC, DC की तुलना में 3 गुना तक सस्ती थी और सभी लोगो तक इसको आसानी से पहुंचाया जा सकता था जिसकी वजह से लोगो ने AC को ही प्रमुखता दी, वर्तमान में हमारे द्वारा AC का ही प्रयोग किया जाता है।

निकोला टेस्ला द्वारा किये गये अन्य कुछ आविष्कार:-

निकोला टेस्ला ने अपने जीवन में बहुत सारे आविष्कार कियें, कुछ का श्रेय उन्हे मिला तो कुछ का श्रेय उन्हे नही मिल पाया।

उनके द्वारा किये गये प्रमुख आविष्कारो में AC जनेरेटर का आविष्कार था जिसकी वजह से बिजली को बहुत दूर-दूर तक पहुचाना सम्भव हो सका।

उन्होने Tesla Coil का आविष्कार किया जो कि एक सर्किट थी जो बेहद उच्च वोल्टेज चार्ज में ऊर्जा को परिवर्तित करता था, जिससे शक्तिशाली विद्युत क्षेत्र बनाता था जो शानदार विद्युत चाप बनाने में सक्षम होते थें। टेस्ला में विघुत चुम्बकत्व में बहुत ही क्रांतिकारी कार्य किये।



टेस्ला ने रेडियो तकनीकि में बहुत ही बङा काम किया परन्तु बाद में इसका श्रेय इटली के वैज्ञानिक मारकोनी को मिल गया।

टेस्ला ने रिमोट प्रणाली पर काम किया, उन्होने पानी में एक खिलौने की नाव को रिमोट की मदद से चलाया था। बेतार संचार प्रणाली का जनक उन्हे ही माना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि एक्स-रे का आविष्कार भी रॉजन से पहले निकोला टेस्ला ने ही किया था परन्तु वह उसका पेटेन्ट नही ले सके।

टेस्ला के आविष्कार जो फंड की कमी से पूरे नही हो सके:-

 

निकोला टेस्ला की लैब में आग लग जाने के कारण उन्हे बहुत नुकसान हुआ और उनके बहुत सारे प्रोजेक्ट जल कर राख हो गये। उन्होने अपने द्वारा कमाई गयी लगभग सारी कमाई उन प्रोजेक्ट में लगा दी थी। जिसके कारण उन्हे बहुत नुकसान हुआ और ऐसे बहुत सारे आविष्कार थे जो कि फंड की कमी के कारण पूरे नही हो सकें।


  • निकोला टेस्ला शहर में एक टॉवर लगा कर शहर में बिजली सप्लाई करने के योजना बना रहे थें, जिसके लिए उन्होने निवेशको से पैसे भी लिये थें, परन्तु जब निवेशको को पता चला कि टेस्ला फ्री में बिजली सप्लाई करने के बारे में सोच रहे है तो निवेशको ने पैसा देना बंद कर दिया और प्रोजेक्ट बंद हो गया। बाद में उस टॉवर को निवेशको के द्वारा ही तोङ दिया गया।
 
  • टेस्ला रिमोट कंटोल प्रणाली पर काम कर रहे थे, उन्होने एक खिलौने जैसी नाव को पानी में चलाया था परन्तु फंड की कमी के चलते वह यह काम भी पूर्ण न कर सकें।
 
 
  • टेस्ला हथियार प्रणाली में एक ऐसी प्रणाली पर कार्य कर रहे थे जो कि सैकङो किलोमीटर दूर स्थिति सैकङो चीजो को एक साथ नष्ट कर सकती थी। परन्तु फंड की कमी के चलते उन्हे यह भी प्रोजक्ट बंद करना पङा।
 
  • जीवन के अंतिम दिनो में वह ऐसे कैमरे को बनाने के लिए प्रयासरत थे जो कि मनुष्य की यादो को तस्वीरो में उतार सकता था। परन्तु यह प्रोजेक्ट भी फंड की कमी के चलते बंद करना पङा।
 
  • टेस्ला विद्युत मोटर बनाने के प्रयोग के दौरान जनरेटर का वोल्टेज लगातार बढाते जा रहे थे, जिसकी वजह से उनकी लैब के आसपास एक बार भूकम्प आ गया। यह देखकर टेस्ला ने अपने मोटर को तुरन्त तोङ डाला।

टेस्ला के बहुत से आविष्कार ऐसे है जो लोगो की नजर में नही आये है और उन्हे सरकार ने गुप्त किया हुआ है। टेस्ला नें अपनी आत्मकथा में लिखा था कि वे भूत, भविष्य तथा वर्तमान तक को एक साथ जी चुके है और उनका सम्पर्क बहुत ही विलक्षण लोगो तक से हुआ है।

टेस्ला की जीवन की कुछ अहम प्रमुख बातें:-

निकोला टेस्ला की जीवन की कुछ अहम बातें है जो कि हर इंसान को प्रेरित कर सकती है। निकोला टेस्ला 8 भाषाओ का जानते थें, वह क्रोएशिया, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशो में बहुत सालो तक रहे थें।

ऐसा कहा जाता है कि टेस्ला, दिन में 15 घंटे से अधिक काम करते थें और वह सिर्फ 2-3 घंटे सोते थें। दिन में काम के दौरान कभी-कभी वह 2 मिनट की नींद ले लेते थें।

वह विज्ञान और आविष्कारो के प्रति इतने उत्साही थे कि उन्होने जीवन भर शादी नही की और अपना सम्पूर्ण जीवन विज्ञान को दिया।

निकोला टेस्ला आविष्कारो से मिली सारी कमाई को कम्पनी के कर्मचारियों में बांट देते थे या नये प्रयोगो में लगा देते थें जिसके कारण उनके जीवन के अंतिम दिन गरीबी में बीते, वह न्यूयार्क के एक होटल में अपने जीवन के अंतिम दिनो में वहां रहे।

उनकी मृत्यु 7 जनवरी 1943 को 86 वर्ष की उम्र में न्यूयार्क में हुई।

ये निकोला टेस्ला के प्रयास और सोच का ही नतीजा है कि आज हम वाई-फाई और रिमोट कंट्रोल जैसी चीजो को प्रयोग कर पा रहे है।

एलोन मस्क ने अपनी कंपनी जो बिजली से चलने वाली कारें बनाती है का नाम निकोला टेस्ला के नाम पर ही टेस्ला रखा है। टेस्ला के प्रयोग और आविष्कार मानवता और मानव के लिए बहुत ही हितकारी सिद्ध हुए।

दुनिया कहीं ज्यादा विकसित और आगे होती यदि टेस्ला को अपने प्रयोगो के लिए पर्याप्त धन मिला होता, जिनको वे धन की कमी के चलते पूरा नही कर पाये।

 

 महान व्यक्तियो की यह निशानी होती है कि वह काम पूरी लगन से करते है और आज का काम कल पर नही डालते, काम को पूरा करने के बाद ही वह दम लेते है।

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