CAATSA का पूरा नाम Countering America's Adversaries Through Sanction Act है। यह सन् 2017 में यह एक अमेरिकी संघीय कानून बनाया गया था। इसका प्रमुख उद्देश्य अमेरिका के शत्रु देशों पर sanction के द्वारा मुकाबला करना है।
संक्षिप्त रूप में इसका अर्थ यह है कि जो भी देश ईरान, उत्तर कोरिया, रूस के साथ रक्षा सौदे करेगा, उसका अमेरिका CAATSA act द्वारा विरोध करेगा।
हाल ही में यह चर्चा का विषय बना है क्यूंकि अमेरिका ने नाटो देश के सदस्य तुर्की पर ही CAATSA लगा दिया है, क्यूंकि तुर्की ने रूस से वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली S-400 की खरीद की है।
S-400 क्या है:-
यह रूस की सबसे उन्नत लंबी दूरी की हवा में मार करने वाली मिसाइल है। यह 380 km की सीमा में शत्रुतापूर्ण रणनीतिक बमवर्षक, जेट मिसाइल और ड्रोन को नष्ट करने में सक्षम है।
हालांकि भारत भी रूस से बहुतायत आयात करता है। इंडिया और रूस की लगभग 16 बिलियन डालर की रक्षा सौदे पर डील हुई है। जिसमें S-400 भी शामिल है।
शुरू में अमेरिका ने इस डील को लेकर आपत्ति जताते हुए दवाब भी बनाया था किन्तु भारत ने अपना रुख साफ रखा कि वह किसी बाहरी देश के दवाब में निर्णय नहीं लेता भारत एक सम्प्रभुत्व देश है। जिसके बाद अमेरिका ने भारत को CAATSA से बाहर रखा।
जिसका एक प्रमुख कारण ये भी माना जाता है कि,भारत विश्व का सबसे बड़ा सैन्य सामानों का खरीदार है ऐसे में इस कानून के माध्यम से अमेरिका सबसे बड़े बाज़ार से वंचित रह जाता। इसके अतिरिक्त यह कानून अमेरिकी निवेश और घरेलू रक्षा उद्योगों को भी प्रभावित कर रहा था।
CAATSA का भारत पर प्रभाव:-
CAATSA की धारा 235 में कुल 12 प्रकार के प्रतिबंध को चिन्हित किया गया है। जिनमे से 10 प्रतिबंधों का अमेरिका या रूस के साथ व्यापार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा किंतु 2 प्रतिबंध ऐसे हैं, जिनका भारत पर प्रभाव पड़ सकता है।
- पहला प्रतिबंध बैंकिंग लेन-देन के निषेध से संबंधित है, यदि भारत पर लागू होता है तो भारत को अमेरिकी डॉलर के माध्यम से भुगतान करने में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
- दूसरा प्रतिबंध निर्यात से संबंधित है, इस प्रतिबंध के माध्यम से अमेरिका स्वयं द्वारा नियंत्रित किसी भी वस्तु के लिये लाइसेंस प्रदान करने और उसके निर्यात को स्वीकार करने से मना कर सकता है।
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